दिसंबर में देश के पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा देश के सबसे लंबे एक्सप्रेसवे गंगा एक्सप्रेसवे का शिलान्यास किया जाएगा। यह एक्सप्रेस-वे मेरठ से शुरू होकर प्रयागराज तक जाएगा और इसे बलिया तक बनाया जाना है। आपको बता दें कि बलिया से बिहार की सीमा शुरू हो जाती है। अतः इस एक्सप्रेस-वे से बिहार को भी फायदा होगा।
कई मौके पर पीएम मोदी कह चुके हैं कि देश के विकास के लिए पूर्वी क्षेत्र का विकास आवश्यक है। इसे कार्य रूप देने के लिए सर्वप्रथम इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करना प्राथमिकता में शामिल है। इन्ही विचारों को धरातल पर उतारने के लिए में चार एक्प्रेसवे का निर्माण किया जा रहा है। पहला एक्सप्रेसवे औरंगाबाद से जयनगर के तक होगा, जिसके निर्माण की प्रक्रिया चल रही है। दूसरा एक्सप्रेस-वे रक्सौल से पटना होते हुए कोलकाता तक बनाया जाएगा।
तीसरा एक्सप्रेस वे बक्सर से भागलपुर के बीच प्रस्तावित है। गोरखपुर से सिलीगुड़ी के बीच प्रस्तावित बिहार का चौथे एक्सप्रेस-वे के भी निर्माण की बात कही गई है। बता दें कि चारों एक्सप्रेस वे के निर्माण से बिहार के 38 जिलों में से लगभग 28 जिले जुड़ेंगे। ऐसे में बिहार के विकास को नए पंख लगेंगे। तो आइये बिहार के इन चारों एक्सप्रेसवे के बारे में बताते हैं कि ये किन-किन जिलों से गुजरेगा।
औरंगाबाद जयनगर एक्सप्रेसवे-
औरंगाबाद के प्रारम्भ से होनेवाली ये फोरलेन सड़क गया एयरपोर्ट के पास से होते हुए जीटी रोड को कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। ये फोर लेन गया से जहानाबाद और नालंदा के बॉर्डर से होते हुए पटना के कच्ची दरगाह में आएगी। यहां से बिदुपुर के बीच निर्माण किए जा रहे 6 लेन पुल से चकसिकंदर, महुआ के पूरब होते हुए ताजपुर तक जाएगी। वहां से दरभंगा एयरपोर्ट के पास से होते हुए जयनगर में समाप्त होगी। औरंगाबाद से जयनगर तक जाने वाली इस सड़क की लम्बाई 271 किलोमीटर होगी। ये सड़क पटना सहित राज्य के 6 जिलों से होते हुए गुजरेगी।
बता दें कि इस सड़क का निर्माण पूरा होने के बाद पटना से गया और दरभंगा एयरपोर्ट सीधे तौर पर जुड़ जाएगा। कच्ची दरगाह बिदुपुर के बीच बन रहे पुल के जरिए ये वैशाली में प्रवेश करेगी। गौरतलब है कि सीएम नीतीश कुमार द्वारा इस पुल को ताजपुर तक जोड़ने का निर्देश दिया गया है। ऐसे में यह और भी उपयोगी साबित होगी। यह सड़क वैशाली से शुरू होगी और समस्तीपुर तथा दरभंगा होते हुए नेपाल सीमा पर जाकर जयनगर में पूरा होगी। अतः फोरलेन बनने वाली यह सड़क पटना के अलावा औरंगाबाद, जहानाबाद, वैशाली व मधुबनी से होते हुए गुजरेगी।
रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेसवे-
नेपाल की सीमा पर स्थित बिहार के रक्सौल से हल्दिया तक बनने वाला एक्सप्रेस-वे, जोकि छह से आठ लेन का होगा राज्य का दूसरा एक्सप्रेस वे होगा। अनुमान है कि साल 2022 से बिहार के इस दूसरे एक्सप्रेस-वे का निर्माण शुरू होगा। इसकी लम्बाई 695 किमी होगी, इसके निर्माण पर 54 हजार करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है। इसके निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए वर्ष 2024-25 का समय निर्धारित किया गया है। फिलहाल इस एक्सप्रेस-वे की डीपीआर की प्रक्रिया शुरू की जाने वाली है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक रक्सैल-हल्दिया एक्सप्रेस-वे पूरी तरह ग्रीनफील्ड होगा और इसमें बीच में नहीं चढ़ा जा सकेगा। यह बिहार के नौ जिलों पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, सारण, पटना, बिहारशरीफ, शेखपुरा, जमुई और बांका से होते हुए गुजरेगा। इसके बाद यह एक्सप्रेस-वे झारखंड में प्रवेश कर सरैयाहाट, नोनीहाट व दुमका से पश्चिम बंगाल के पानागढ़ से हल्दिया पोर्ट चला जाएगा।
बक्सर- भागलपुर एक्सप्रेसवे –
बिहार के तीसरे एक्सप्रेस-वे का निर्माण बक्सर से भागलपुर तक किया जाएगा। फिलहाल बक्सर से दिल्ली तक पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य किया जा रहा है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को भागलपुर को जोड़े जाने की योजना है। यह 350 किलोमीटर लम्बा होगा। इस एक्सप्रेस-वे को गंगा में बने सभी पुलों से भी जोड़ा जाएगा , जिससे राज्य की सड़क कनेक्टिविटी में भी वृद्धि होगी।
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे-
गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक बनाया जाने वाला एक्प्रेस-वे बिहार के 10 जिलों से होते हुए गुजरेग। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार के तरफ से इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण की सैद्धांतिक सहमति दी जा चुकी है। पथ निर्माण विभाग द्वारा इस सड़क को साकार करने का प्रयास शुरू हो गया है। बता दें कि गोरखपुर- सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे सबसे पहले गोपालगंज में प्रवेश करेगा, इसके बाद सीवान, छपरा, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, सहरसा, पूर्णिया, किशनगंज होते हुए सिलीगुड़ी जाएगा। इआसे बिहार से यूपी और बंगाल का सफर आसान हो जाएगा। व्यापार को भी नया उड़ान मिलेगा। इस एक्सप्रेस-वे का पूरा हिस्सा ग्रीनफील्ड होगा। इस एक्स्प्रेस वे मे किसी पुरानी सड़क को शामिल करने की योजना नहीं है।
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