बिहार में शराबबंदी कानून (Bihar Liquor Law) को लेकर एक बार फिर विधानसभा (Bihar Assembly) में चर्चा हुई। इस दौरान इस बहुचर्चित मुद्दे पर एक बार फिर बदलाव करते हुए विधानसभा में मद्य निषेध और उत्पादन विधेयक 2022 पारित हो गया है। बता दे यह तीसरा मौका है जब इस कानून में अहम संशोधन (Amendment Bill On Prohibition Of Liquor Passed) किए गए हैं। वही इस मामले पर अब थोड़ी राहत के बीच इससे जुड़ा अपराध अब संगठित अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा। गौरतलब है कि विधानसभा में इस मुद्दे पर उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के मंत्री सुनील कुमार (Sunil Kumar) ने जरूरी जानकारी साझा करते हुए इसके प्रधान में बदलाव की मांग की।
शराबबंदी कानून में फिर संसोधन
उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के मंत्री सुनील कुमार ने इस दौरान बताया कि पहली बार शराब पिए पकड़े जाने पर मजिस्ट्रेट के स्तर पर ही जुर्माना देकर बेल देने का प्रावधान रखा गया है। इस दौरान जुर्माना न देने की स्थिति में 1 महीने की जेल भी हो सकती है। वहीं अगर बार-बार शराब पिए पकड़े जाते हैं, तो जुर्माना और जेल दोनों ही हो सकती है।
बता दें इसके लिए जिला स्तर पर एक-एक सीनियर एडीएम स्तर के पदाधिकारियों को मजिस्ट्रेट के तौर पर नामित भी किया जाएगा। हालांकि इस पूरी प्रक्रिया के तहत मजिस्ट्रेट पर निर्भर करेगा कि वह बेल देता है या संबंधित व्यक्ति के अपराध की प्रवृत्ति के आधार पर उसे जेल भेजता है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति शराब की बोतल के साथ पकड़ा जाता है तो उस पर लागू नहीं होगा। इस कानून के पारित होने के बाद इससे संबंधित नियम भी बनाए जाएंगे, जिसमें जुर्माना की राशि समेत अन्य कई बातों की जानकारी सम्मिलित रहेगी।
हालांकि विधानसभा में संशोधन के दौरान विपक्षी सदस्यों की संख्या बेहद कम रही और बिना उनके हंगामे के ध्वनिनत से इसे पारित किया गया। हालांकि कुछ विपक्षी सदस्यों ने संशोधन प्रस्ताव पेश किए, लेकिन वे सभी अस्वीकार्य रहें।
लापरवाही करने वाले अधिकारियों पर गिरेगी गाज
इस दौरान निषेध विभाग के मंत्री ने कहा कि शराबबंदी कानून के अंतर्गत लापरवाही बरतने वाले पुलिस और उत्पाद विभाग के 230 पदाधिकारियों एवं कर्मियों को बर्खास्त किया जा चुका है। बड़ी संख्या में लंबित पड़े शराब से जुड़े मामलों की सुनवाई तेजी से करने के मद्देनजर 74 विशेष कोर्ट का गठन भी किया गया। जो जल्द से जल्द इन मामलों का निपटारा करेगी। न्यायालयों पर शराब से जुड़े केस का बोझ कम करने के लिए कानून में यह प्रावधान बनाया गया है।
इसके प्रभाव जाने के लिए चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी में सर्वेक्षण भी कराया गया था, जिसकी प्रारंभिक रिपोर्ट में यह स्पष्ट कहा गया है कि इस कानून के प्रति व्यापक जनसमर्थन है। यह कानून काफी प्रभावी भी है महिलाओं ने इसे पूरी सख्ती से लागू करने की मांग उठाई है। बता दे सबसे ज्यादा गरीब महिलाओं को इसका फायदा हुआ है।
शराबबंदी कानून के तहत किए गए कई मुख्य संशोधन
- पहली बार कम मात्रा में शराब के साथ पकड़े जाने वाली गाड़ी खासकर छोटी गाड़ी को जप्त करने के बजाय जुर्माना लेकर छोड़ दिया जाएगा। इसमें बड़े और मालवाहक वाहन शामिल नहीं होंगे, जिनमें शराब की खेत लदी हो।
- यदि कोई व्यक्ति किसी स्थान परिसर या किसी ऐसी जगह पर नशे की अवस्था में मिलता है, तो उसे तत्काल गिरफ्तार कर पास के एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट के पास पेश किया जाएगा। जहां वह जुर्माना देकर छूट सकता है।
- उत्पाद विभाग के पदाधिकारियों के स्तर पर रिपोर्ट के आधार पर संबंधित मजिस्ट्रेट अपना फैसला लेगा। मामला गंभीर हो तो वे उसे जुर्माने के साथ-साथ जेल भी भेज सकता है।
- जप्त गई शराब को अगर किसी कारण से ले जाना संभव नहीं हुआ तो उसे बरामदगी वाले स्थान पर ही डीएम के आदेश पर नष्ट किया जा सकता है। इससे पहले अधिकारी की देखरेख में शराब का सैंपल लेने के अलावा इलेक्ट्रिक एविडेंस की रिपोर्ट के तौर पर जमा किया जाएगा।
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