मरियप्‍पन थंगावेलु : 5 साल की उम्र में कटा पैर, मां ईट भट्टे में काम कर बेटा को बनाया सिल्वर मेडलिस्ट

बीते मंगलवार को टोक्यो पैरालंपिक में 26 साल के युवा खिलाड़ी मारियप्पन थंगावेलु ने हाइ जम्प के T63 इवेंट में भारत के लिए सिल्वर मेडल जीता है। 5 साल की उम्र में पैर गवाने के बाद भी मरियप्पन ने अपना हौसला नही हारा और दुनिया को ये बता दिया कि अगर हौसले मजबूत हो तो कोई भी परेशानियां आपके सामने घुटने टेक सकती है। हालांकि ये पहला मौका नही है जब मरियप्पन ने अपने हौसले का शानदार प्रदर्शन किया है। इससे पहले भी उन्होंने रियो पैरालंपिक में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता था। तो चलिए ऐसे में आज हम आपको इस जाबांज खिलाड़ी के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं।

पिता की मौत के बाद करना पड़ा था मुश्किलों का सामना :-

Mariyappan Thangavelu

साल 1995 में 28 जून को तमिलनाडु के गांव पेरियावादगमपट्टी, सालेम में जन्मे मरियप्पन थंगावेलु ने बचपन से ही कठिनाइयों का सामना किया है। एक हादसे में हुई पिता के मौत के बाद मरियप्पन अपनी माँ, बड़ी बहन और दो छोटे भाई के साथ रहते है। पिता के निधन के बाद मरियप्पन की माँ सरोजा देवी ईट उठाने का काम किया करती थी। लेकिन एक दिन उन्हें सीने में दर्द हुआ तो मरियप्‍पन ने किसी से 500 रुपये उधार लेकर उनका ईलाज करवाया जिसके बाद सरोजा देवी ने ईठ उठाने का काम छोड़कर सब्जियां बेचनी शुरू कर दी।

5 साल की उम्र में हुआ था भयानक हादसा :-

Mariyappan Thangavelu and PM Narendra Modi

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इन हालातों से मरियप्पन और उनका परिवार जूझ ही रहा था कि अचानक उनके जीवन में एक ऐसा तूफान आया जिसने सबकी जिंदगी को बदलकर रख दिया। दरअसल, 5 साल की उम्र में सड़क पर खेलने के दौरान मरियप्पन को एक बस ने इतनी जोर से टक्कर मारी की उनका एक पैर खराब हो गया। इतना ही नहीं पैर खराब हो जाने की वजह से डॉक्‍टरों को उनका पैर तक काटना पड़ा।

इलाज के लिए लेने पड़े थे 3 लाख रुपये उधार :-

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मरियप्पन के इस इलाज के लिए उनकी माँ को 3 लाख रुपये उधार लेने पड़े थे जिसके बाद इस लोन को मरियप्‍पन का परिवार 2016 तक भी नहीं चुका पाया था। जब पैरालंपिक खेलों का आयोजन शुरू हुआ तो उस समय तक मारियप्पन का पूरा परिवार किराए के मकान में ही रहता थ।

17 साल तक कोर्ट कचहरी के लगाने पड़े थे चक्कर :-

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बतादें कि मारियप्पन के साथ भीषण हादसा हो जाने के बाद उन्हें 17 सालों तक कोर्ट-कचहरी के चक्‍कर काटने पड़े थे और इस दौरान उनके परिवार को कुल 2 लाख रुपये का मुआवजा प्राप्‍त हुआ था। जिसमे से 1 लाख रुपये वकीलों को फीस के तौर पर चुकाने पड़ें। बाकि बचे एक लाख को उनकी मां ने बैंक में जमा करा दिया ताकि भविष्‍य में मरियप्‍पन के काम आ सके।

वॉलीबॉल खेलने का हमेशा से था शौक :-

Mariyappan Thangavelu

आपको बतादें कि बचपन से ही मारियप्पन को वॉलीबॉल खेलने का खूब शौक था और पैर के कटने के बाद भी उन्होंने अपने इस शौक को नही छोड़ा और मेहनत करते रहे। वॉलीबॉल खेल के प्रति मरियप्पन की लग्‍न को देखकर उनके एक टीचर ने उन्‍हें हाई जंप करने की सलाह दी। जिसके बाद मरियप्‍पन ने इसमें ही करियर बनाने का मन बनाया।

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जब मारियप्पन 14 साल के थे तब उन्होंने हाई जंप प्रतियोगिता में भाग लिया जहां वह दूसरे स्थान पर आए। फिर इसके बाद मारियप्पन ने कभी पीछे मुड़कर नही देखा और पैरालंपिक के लिए मेहनत करते गए और उनकी मेहनत 2016 में सफल हुई।

मेडल जीत रचा इतिहास :-

Mariyappan Thangavelu

2016 में रियो में आयोजित रियो पैरांलपिक में हाई जपंर मरियप्‍पन थंगावेलु ने हाई जम्‍प T42 वर्ग में गोल्ड मेडल अपने नाम किया। इसके बाद उन्हें 2017 में पद्म श्री अवार्ड और अर्जुन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया।

Mariyappan Thangavelu

फिर साल 2021 में 31 अगस्त को मारियप्पन ने एक इतिहास रचा और दूसरी बार पैरांलपिक में मेडल अपने नाम किया। उन्होंने पुरुषों के ऊंची कूद टी63 फाइनल में शानदार प्रदर्शन करते हुए सिल्वर मेडल जीता है। इसी मुकाबले में शरद कुमार को ब्रॉन्ज मेडल मिला। बतादें कि टोक्यो पैरालंपिक में भारत का यह 10वां मेडल है।

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