बिहार में उद्योग-धंधे लगाने के लिए आसानी से मिलेगें जमीन, सभी जिले के डीएम को दिये गए आदेश

बिहार में कृषि की जमीन पर उद्योग धंधे स्थापित करने के रास्ते में रुकावट डाल रही बड़ी बाधा को सरकार खत्म करने जा रही है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा उद्योग विभाग की आपत्ति के बाद अनुमंडल अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि संपरिवर्तन शुल्क वसूली के लिए अधिनियम के मापदंडों का पालन करें। इस संबंध में भूमि अधिग्रहण के निदेशक सुनील कुमार ने सभी जिले के डीएम को बुधवार को खत लिखा है।

 industries in bihar

बीते 20 अप्रैल को उद्योग विभाग के प्रधान सचिव संदीप पौंड्रिक ने एक लेटर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव को सौंपा था। पत्र में शिकायत दर्ज कराते हुए लिखा गया था कि उद्योग के लिए कृषि की जमीन का इस्तेमाल किया जाता है तो उस पर कमर्शियल रेट पर संपरिवर्तन शुल्क वसूला जा रहा है। यह राशि इतनी ज्यादा हो जाती है कि उद्योग स्थापित हेतु कृषि की जमीन का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा।

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उन्हें इस बात की उम्मीद थी कि भूमि सुधार विभाग के द्वारा संपरिवर्तन शुल्क निर्धारण के मामले में अनुमंडल अधिकारियों को दिशा निर्देश दिया जाएगा। उन्हें निर्देश दें कि खेती भूमि के संपरिवर्तन के दौरान तय शुल्क की वसूली करे। डायरेक्टर सुशील कुमार के लेटर में बिहार कृषि भूमि अधिनियम 2010 के प्रविधानों के मुताबिक शुल्क वसूली का आदेश दिया गया।

जाने कैसे होता है शुल्क का निर्धारण

बता दें कि बिहार कृषि भूमि अधिनियम 2010 के अनुसार कृषि की जमीन का अगर दूसरे  में इस्तेमाल होता है तो अनुमंडल के अधिकारियों को उस भूमि के मूल्य का 10 फीसद संपरिवर्तन शुल्क वसूलेंगे। नियमावली में कृषि जमीन की परिभाषा दी गई है। इसमें कृषि के साथ ही उससे जुड़े गतिविधियों को भी खेती जमीन माना गया है।

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बता दें कि निबंधन विभाग के द्वारा शुल्क वसूली हेतु भूमि का वर्गीकरण कई समूहों में किया गया है। कृषि की जमीन अगर मुख्य रोड या बाजार के साइड है तो उसे कमर्शियल घोषित कर दिया गया है। इससे भूमि की कीमत में बढ़ोतरी हुई है। कृषि योग्य जमीन अगर कोई उद्योग धंधे स्थापित करने के लिए खरीदता है तो उसे कमर्शियल भूमि के हिसाब से शुल्क का भुगतान करना पड़ता है। जिससे उन्हें काफी परेशानी होती हैं।

Manish Kumar