इस बार बिहार में एनडीए की सरकार बन गई हैं, इस बात में कोई दो राय नहीं है, लेकिन फिर भी अपने बेटे की नेतृत्व क्षमता को लेकर राजद सुप्रीमो लालू यादव गद-गद नजर आ रहे हैं। इसके पीछे वजह यह है कि भले ही आरजेडी चुनाव हार गई हो पर इस बार आरजेडी ने काफी बढ़ चढ़कर जनता के बीच प्रतिनिधित्व किया और लोगों से जनसंपर्क करने में काफी हद तक सफल हुए।
एग्जिट पोल के नतीजों से उत्साहित लालू प्रसाद को जब वास्तव में नतीजों का पता चला तो उन्हें मायूसी जरूर हुई, लेकिन उनके बेटो ने जिस तरह से उनकी राजनीतिक विरासत को आगे गति प्रदान की है। उससे लालू प्रसाद यादव काफी खुश हैं।आपको बता दें कि हसनपुर सीट से अपनी चुनावी किस्मत आजमाने वाले लालू यादव के बड़े सुपुत्र तेज प्रताप यादव को जीत मिली है तो वही राघोपुर सिंह से तेजस्वी यादव भी जीत गए हैं।
इस बार यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि तेजस्वी यादव ने चुनावी बागडोर को संभालने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पूरी तरह से रणनीति बनाकर अपने मुद्दों पर टिके रहे। पर फिर भी यह कहा जा रहा है कि कांग्रेस को 70 सीटें देना राजद पर भारी पड़ गया, क्योंकि इन 70 सीटों में से कांग्रेस ने केवल 19 सीटों पर कब्जा जमाया है, जिसने राजद के बने बनाएं काम को बिगाड़ दिया।
आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी
बता दे की आरजेडी चुनाव हारने के वावजूद इस बार के चुनाव ने सबसे बड़ी पार्टी बनी है। आरजेडी ने इस बार सबसे ज्यादा 75 सीटो पर अपना परचम लहराया वही बीजेपी 74 सीट जीतकर दूसरी बड़ी पार्टी रही। वोट प्रतिशत की बात करे तो आरजेडी को 23.11% वोट पड़े वही बीजेपी का यह आकडा 19.5% का रहा।
इसतह से देखा जाए तो तेजस्वी यादव ने जिस त्तरह से मेहनत किए लोगो की बीच अपनी बात रखी, लोगो को काफी पसंद आया। लोगो ने ना बस उनके रैलियो मे खुल कर भाग लिए बल्कि अपना वोट भी तेजस्वी को दिया जो की आकड़ों मे दिख रहा है।
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