JDU ने बहुत पहले शुरू कर दिया था ‘चिराग’ को बुझाने की तैयारी, जानें कैसे दिया अंजाम !

बिहार विधानसभा चुनाव 2020। एनडीए गठबंधन में सीटों को लेकर सभी घटक दलों में रस्साकशी का एक अलग दौर शुरू था। सभी पार्टियों ज्यादा – से – ज्यादा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करना चाहती थी। लोकजनशक्ति पार्टी के सुप्रीमो राम विलास पासवान की तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही थी , इसीलिए उन्होंने सीटों से लेकर पार्टी की सारी जिम्मेदारी अपने बेटे और जमुई से सांसद चिराग पासवान के कंधों पर दे रखी थी। चिराग पासवान बिहार में पार्टी का जनाधार बढ़ाना चाहते थे , इसीलिए उन्होंने 35-40 सीटों की मांग की लेकिन एनडीए के हिस्सा रहे जदयू ने चिराग की इस माँग पर लगातार अपनी असहमति व्यक्त की। अंततः अपने निजी सलाहकार सौरभ पांडेय की सलाह पर चिराग पासवान ने एनडीए से अलग चुनाव लड़ने का एलान कर दिया।

इतना हीं नहीं उन्होंने उन सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए, जहाँ से जदयू के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे। जिसका नतीजा यह हुआ कि जदयू को भारी नुकसान उठाना पड़ा और जदयू केवल 43 सीटों पर हीं जीत दर्ज कर पाई। बिहार विधानसभा चुनाव के शुरूआती दिनों से हीं चिराग पासवान ने बीजेपी का समर्थन और जदयू का विरोध करना शुरू कर दिया। इन वजहों से एलजेपी को भाजपा की B टीम व कहा गया तथा जदयू द्वारा आपत्ति व दर्ज कराई गई।

लेकिन चुनाव बाद आये नतीजों में एलजेपी की रणनीति को बड़ा झटका लगा और 143 सीटों पर अपना उम्मीदवार खड़ा करने के बावजूद पार्टी महज एक सीट ही जीत सकी। चुनाव में आये निराशाजनक नतीजों के बाद उनकी अपनी हीं पार्टी में उनके खिलाफ आवाज उठने लगे और अन्ततः बात इतनी बढ़ गयी कि पार्टी के 6 में से 5 सांसदों ने बगावत कर दी और पशुपति कुमार पारस को अपना नेता चुन लिया।

अभी वर्तमान स्थिति क्या है ??

बिहार चुनाव के दौरान नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की बिहार से विदाई की उम्मीद लिए एक न्यारा बंगला का सपना देख रहे थे चिराग पासवान (Chirag Paswan), आज उसी बंगले से उनके अपनों ने ही उनको बेदखल कर दिया। हालत यह हो गई कि चिराग को बंगले में एंट्री के लिए भी तरसना पड़ गया। पार्टी में हुई टूट और बगावत के बाद चिराग पासवान चाचा पशुपति पारस (Pashupati Paras) से मिलने उनके बंगले पर पहुँचे लेकिन डेढ़ घंटे तक इंतजार करने के बावजूद चाचा पशुपति कुमार पारस ने मुलाकात नहीं की।

दरअसल, विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश कुमार पर उगलने वाले आग की चिंगारी में ही आज चिराग झुलसते जा रहे हैं। चिराग के तीखे हमलों को लेकर नीतीश चुनाव और चुनाव के बाद भी शांत रहे। सच यह भी है कि चिराग की आज अगर ये हालत हुई है, तो उसकी पटकथा जेडीयू की ओऱ से बिहार चुनाव के नतीजों के बाद से ही लिखनी शुरू हो गई थी, लेकिन एलजेपी नेता इससे बेखबर हीं रहे जिसका नतीजा 6 में से 5 सांसदों की बगावत के रूप में सामने आई। पिछले दिनों वीणा देवी के दिल्ली स्थित आवास सरस्वती अपार्टमेंट में चिराग के चाचा पशुपति पारस की अगुआई में एलजेपी के पांचों सांसद, जेडीयू सांसद और नीतीश के करीबी लल्लन सिंह के साथ मिलने पहुंचे थे उनके साथ जेडीयू के संजय सिंह और महेश्वर हज़ारी भी मौजूद थे।

क्या जदयू ने अपना बदला लिया??

बिहार चुनाव में चिराग पासवान की वजह से जदयू और काफी नुकसान झेलना पड़ा था और पार्टी महज 43 सीटों पर सिमट गई थी। नीतीश कुमार ने भी पार्टी की बैठक में एलजेपी की ओर से पहुंचे नुकसान का जिक्र किया था। माना जा रहा है कि चुनाव के बाद ही बदला लेने के लिए ऑपरेशन एलजेपी की शुरुआत हुई। सूत्रों के मुताबिक, ललन सिंह और महेश्वर हजारी काफी समय से दिल्ली में रहकर इस ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने में जुटे थे।

नतीजा यह हुआ कि कुछ महीनों में ही एलजेपी का एकमात्र विधायक राजू कुमार सिंह को JDU में शामिल किया गया। उसके बाद बीजेपी ने भी दूसरा झटका दिया और एकमात्र एमएलसी नूतन सिंह बीजेपी में शामिल हो गई। अब एलजेपी के पांचों सांसदों ने चिराग को अलग-थलग करते हुए नीतीश का समर्थन कर दिया।आखिरकार जेडीयू का ऑपरेशन कामयाब रहा और कामयाबी की खुशी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के बयान में झलक रही थी, जिसमें वो कहते नज़़र आए कि जो जैसा बोएगा, वो वैसा काटेगा।

अब क्या करेंगे चिराग पासवान??

पार्टी में हुई इस बगावत के बाद से चिराग पासवान पूरी तरह से अकेले पड़ गए हैं। अब उनकी आगे की रणनीति क्या होने वाली है , ये फिलहाल समय जे गर्भ में छुपा हुआ है। हालांकि आरजेडी और कांग्रेस की तरफ से चिराग़ पासवान को साथ आने का ऑफर दिया जा रहा है। लेकिन आगे क्या होगा , अभी कुछ भी निश्चित नहीं है।

Manish Kumar

Leave a Comment