दिलचस्प! आज ही के दिन हुआ था असली और नकली सीता का जन्म, जाने कैसे हुआ था माता सीता का जन्म?

Sita Navami 2023 Special Story, Sita Navami And Deepika Chikhalia Birthday: आज एक बड़ा दिलचस्प संयोग है। दरअसल आज 29 अप्रैल 2023 को हिंदी कैलेंडर के मुताबिक सीता नवमी है। यानी वह दिन जिस दिन माता सीता का जन्म हुआ था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज ही के दिन यानी 29 अप्रैल को 90 के दशक की रामानंद सागर द्वारा प्रसारित रामायण में माता सीता का किरदार निभाने वाली दीपिका चिखलिया का भी जन्म हुआ था। आज के इस दिलचस्प को संयोग को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि आज रामायण की असली और नकली दोनों ही सीता माताओं का जन्मदिवस है। ऐसे में आइए हम आपको माता सीता के जन्म की कहानी बताते हैं।

कैसे हुआ था माता सीता का जन्म?

हिंदी शास्त्रों के मुताबिक राजा जनक के पास किसी चीज की कमी नहीं थी। वह धन-धान्य से पूरी तरह से परिपूर्ण थे। उनका जीवन बड़े आराम से गुजर रहा था, लेकिन इस दौरान उन्हें एक दुख था और वह यह कि उनकी कोई संतान नहीं थी। इस कारण राजा जनक काफी निराश रहा करते थे। एक बार मिथिला में भयंकर अकाल पड़ा। इस दौरान राजा जनक की प्रजा को अन्न और जल की कमी से जूझना पड़ा। हालातों को देखते हुए राजा जनक को ऋषि ने सलाह दी कि वह राज्य में एक यज्ञ का आयोजन करवाएं। इस यज्ञ में पूर्णाहुति से पहले जनक जी को अपने हाथों से खेत में हल चलाने को भी कहा गया। राजा जनक ने ऋषियों की बात को मान ली।

इसके बाद उन्होंने ऋषियों के बताए मुताबिक खेत में हल चलाना शुरू किया। राजा जनक खेत में हल चला रहे थे, तभी अचानक उनका हल किसी धातु से जा टकराया। राजा जनक ने हल को खींचते हुए उसे काफी बार हटाने की कोशिश की, लेकिन वह इसमें कामयाब नहीं हुए। इसके बाद उन्होंने उस स्थान की खुदाई करने के आदेश दिए। खुदाई के पश्चात वहां पर एक कलश निकला। जनक जी ने जैसे ही उस कलश का ढक्कन हटाया, तो उस कलश के अंदर एक नवजात कन्या मुस्कुरा रही थी, जिसे देखते ही राजा जनक के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।

यह बात सभी जानते थे कि राजा जनक की कोई संतान नहीं थी। ऐसे में जनक ने उस कन्या को अपनी पुत्री मान लिया और उसे अपने साथ लेकर महल में चले गए। उन्होंने उस बच्ची का नाम सीता रखा। जनक द्वारा उस बच्ची का नाम सीता रखने के पीछे भी एक कहानी प्रचलित है।

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कैसे पड़ा ‘धरती पुत्री’ का नाम ‘सीता’?

खुदाई के दौरान राजा जनक को हल से टकराये कलश में सीता मिली थी। बता दे हल के आगे की तरफ जो नुकीला भाग होता है, उसे ‘सीत’ कहा जाता है। ऐसे में इसी से जोड़कर उनका नाम सीता रखा गया। राजा जनक अपनी पुत्री सीता से सबसे ज्यादा प्यार करते थे, इसलिए उन्हें जानकी यानी जनक की दुलारी के नाम से जाना जाता था।

बता दे माता सीता का जिस जगह पर जन्म हुआ था, उस स्थान को आज सीतामढ़ी के नाम से जाना जाता है। बता दे यह बिहार में स्थित है। आज भी सीतामढ़ी में देवी सीता के जन्मोत्सव का जश्न पूरे हर्षोल्लास के साथ सीता नवमी के दिन मनाया जाता है।

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