भारतीय रेलवे (Indian Railway) दुनिया का सबसे बड़ा चौथा रेलवे नेटवर्क है। ऐसे में यह बेहद आम बात है कि आपने और हमने कभी ना कभी ट्रेन का सफर जरूर किया होगा। ट्रेन का सफर काफी मजेदार और उसकी जर्नी काफी यादगार होती है। भारतीय रेलवे (IRCTC) में मौजूद ट्रेनें बिजली, डीजल और भाप के इंजन (INTERESTING FACTS ABOUT INDIAN TRAIN) से चलती है। हालांकि भाप से चलने वाली ट्रेनों का प्रचलन अब बेहद कम हो गया है या यूं कहें कि ना के बराबर है। ये केवल किसी खास मौके पर ही चलाई जाती है, लेकिन डीजल (Diesel Trail) से चलने वाली कई ट्रेनें हैं। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि डीजल से चलने वाली ट्रेन एक समय में कितना माइलेज (MILEAGE OF INDIAN RAILWAYS ENGINES) देती है। आइए हम आपको उसकी पूरी जानकारी देते हैं।
डीजल ट्रेन का टैंक कितने लीटर का होता है
ट्रेन के माइलेज (TRAINS MILEAGE) और उससे जुड़ी जानकारी को समझने से पहले यह बेहद जरूरी है कि डीजल ट्रेन का टैंक कितने लीटर का है। इस बात की जानकारी होना जरूरी है। बता दें ट्रेन के डीजल इंजन की क्षमता के हिसाब से उसकी इसे तीन कैटेगरिओं में बांटा जाता है। 5000 लीटर 55000 लीटर 6000 लीटर.. डीजल इंजन के प्रति किलोमीटर का एवरेज उसके लोड के आधार पर तय होता है, जिसके आधार पर उसकी दूरी निश्चित होती है।
ट्रेन के डब्बे पर निर्भर है माइलेज
डीजल इंजन का माइलेज इस बात पर भी निर्भर करता है कि यदि हम डीजल इंजन से चलने वाली ट्रेन कितने कोच की है। बात 12 कोच वाली पैसेंजर ट्रेन की बात कर रहे हैं तो यह 6 लीटर में 1 किलोमीटर का माइलेज देती है। वही बात अगर 24 कोच के एक्सप्रेस ट्रेन की करें तो यह 6 लीटर प्रति किलोमीटर का माइलेज देती है। इसके अलावा बात अगर 12 डिब्बों के साथ एक्सप्रेस ट्रेन की करें तो इसकी माइलेज 4.50 लीटर प्रति किलो मीटर होती है।
पैसेंजर ट्रेन और एक्सप्रेस ट्रेन के माइलेज में अंतर होता है। इसलिए क्योंकि पैसेंजर ट्रेन सभी स्टेशनों पर रुकते हुए आगे बढ़ती है। इस वजह से उसमें ब्रेक और एक्सीलेटर का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में पैसेंजर ट्रेन का माइलेज एक्सप्रेस ट्रेन के मुकाबले काफी कम होता है। एक्सप्रेस ट्रेन के स्टॉप काफी कम होते हैं और उनमें काफी कम बार एक्सीलेटर और ब्रेक का इस्तेमाल किया जाता है।
मालगाड़ी ने कोच की संख्या और ट्रेन में ले जा रहे सामान के आधार पर भी माइलेज का पता चलता है। बता दे मालगाड़ी ट्रेन में सामान के अनुसार यह तय होता है कि वह कितना माइलेज देगी।
कई बार स्टेशन पर ट्रेन चाहे कितनी भी देर खड़ी रहे उसका इंजन बंद नहीं होता। डीजल इंजन के चालू रखने के पीछे दो वजहें होती हैं। पहली वजह यह कि डीजल इंजन का पावर ऑफ करने के बाद ब्रेक पाइप का प्रेशर कम हो जाता है, जिससे वापस उसी क्षमता में आने के लिए उसे लंबा समय लगता है। ऐसे में इसमें डीजल भी खर्च होता है। वहीं दूसरी वजह यह है कि इंजन स्टार्ट करने में अमूमन 20 से 25 मिनट का समय लग जाता है, इसलिए इंजन बंद करने के बजाय उसे चालू रखना ही चालक ठीक समझते हैं।
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