गलवान में दो‌ साल पहले शहीद हो गए थे पति, देश सेवा के लिए शिक्षक की नौकरी छोड़ लेफ्टिनेंट बनीं पत्नी

रेखा सिंह (Rekha Singh) रोजाना की तरह 15 जून 2020 को भी अपने काम में व्यस्त थी। अचानक उन्हें मैसेज मिलता है कि उनके पति दीपक सिंह (Myter Deepak Singh) चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (Chinese People’s Liberation Army) के साथ हुई झड़प में इस दुनिया में नहीं रहे। इस खबर ने उन्हें पूरी तरह भावुक कर दिया और आंखों से आंसू गिरने लगे। केवल 15 महीने में ही पति के साथ टूटने का गम और पति का वह ड्रीम भी याद आया होगा जो उनके साथ साझा करते थे। इरादा था अपने मुल्क के लिए कुछ कर गुजरने का।

Rekha Singh

शहीद पति के इसी सपने को पूरा करने के लिए रेखा ने अपने बहते आंसुओं को रोका और फौलादी इरादों के दम पर निकल पड़ी सपना को सच करने। आज की तारीख में रेखा सिंह इंडियन आर्मी में लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात है। 28 मई चेन्नई में उनकी प्रशिक्षण शुरू हो गई है। 

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शहीद पति के सपनों को पत्नी ने किया पूरा

रेखा सिंह बताती है कि उनके पति दीपक सिंह का ड्रीम था कि उन्हें भारतीय सेना में जाने के लिए निरंतर मेहनत करने के लिए जान फूंक दिया। बिहार रेजीमेंट की 16 वीं बटालियन के उनके पति नायक थे। उनके पति दीपक सिंह को बहादुरी के लिए मरने के बाद राष्ट्रपति महामहिम रामनाथ कोविंद के वीर चक्र से नवाजा गया था। रेखा सिंह बताती है कि जब मेरे पति की मरने की मैसेज मिली तो मैं अंदर ही अंदर काफी टूट गई थी, लेकिन मेरे पति की शहीद होने का गम और देश के प्रति समर्पण में भावना का ही नतीजा था जो मुझे शिक्षक की नौकरी ठुकरा कर पति के ड्रीम को पूरा करने का हौसला जगाया। फिर शिक्षक की नौकरी छोड़ दी और आर्मी में अफसर बनने का पूरा मन बना लिया।

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इस सफलता के सफर और लेफ्टिनेंट की एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी के मुश्किल दिनों को याद करते हुए रेखा भावुक हो जाती है और कहती है कि नोएडा जाकर एग्जाम की तैयारी के लिए प्रशिक्षण कतई आसान नहीं था। शारीरिक प्रशिक्षण लेने के बाद मैं पहले बार में सफल नहीं हो सकी, बाबजूद इसके कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आर्मी में भर्ती होने के लिए मेहनत करती रही। मेहनत रंग लाई और दूसरे ही प्रयास में इंडियन आर्मी में लेफ्टिनेंट के पद के लिए मुझे सिलेक्ट कर लिया गया।

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