भारतीय नौसेना को एक और उपलब्धि हाथ लगी है । नौसेना ने बीते गुरुवार को अपना पहला स्वदेशी गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर पोत पी15बी आईएनएस विशाखापट्टनम प्राप्त किया है । मालूम हो कि नौसेना को यह पहला स्वदेशी मिसाइल डिस्ट्रॉयर मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने बना कर दिया है ।
आईएनएस विशाखापट्टनम पोत भारतीय नौसेना के लिए काफी महत्वपूर्ण है । यह स्वदेशी युद्धपोत निर्माण कार्यक्रमों के मद्देनजर सरकार और नौसेना के लिए मील का पत्थर है । इससे आने वाले समय में चीन को कड़ा मुकाबला दिया जा सकेगा ।
3 साल की देरी के बाद हुई डिलीवरी
इसकी खूबियों की बात करें तो इसकी स्वदेशी गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर देखते ही देखते विमानरोधी मिसाइल को उड़ा सकता है, दुश्मन के विमानों और उसकी मिसाइलों को कुछ सेकंड में ही तबाह कर सकता हैं । यह ब्रह्मोस सुपर सोनिक मिसाइल, बराक मिसाइल सिस्टम समेत कई अन्य सेंसर और हथियारों से लैस एक आधुनिक मिसाइल डिस्ट्रॉयर है ।
इसका निर्माण जनवरी 2011 के कॉन्ट्रैक्ट के तहत किया गया है और इसकी डिलीवरी नौसेना को 3 साल की देरी के बाद हुई है । मालूम हो कि इसके अलावा भी तीन और डिस्ट्रॉय पोत बनाया जाएगा और इन चारों की कुल लागत लगभग 35,000 करोड़ रुपए आएगी ।
केंद्रीय जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने विक्रांत का किया निरीक्षण
बीते रविवार को केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने स्वदेशी विमान वाहक पोत विक्रांत के समुद्री परीक्षण की समीक्षा करते हुए कहा कि अगस्त 2022 में से औपचारिक रूप से नौसेना को सौंप दिया जाएगा ।स्वदेशी गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर पोत पी15बी को लेकर नौसेना ने ट्वीट करते हुए कहा है कि यह मिसाइल डिस्ट्रॉयर 28 अक्टूबर को भारतीय नौसेना को सौंपा गया और नवंबर के अंत तक यह पूरी तरह से नौसेना में शामिल हो जाएगा ।
अगले साल अगस्त तक नौसेना में किया जाएगा शामिल
आपको बता दें कि सर्वानंद सोनोवाल रविवार को स्वदेशी विमान वाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत का निरीक्षण करते हुए बोले कि यह दूसरा परीक्षण है और हमारा लक्ष्य इस पोत को अगले साल अगस्त तक नौसेना में औपचारिक रूप से शामिल करने का है ।
उन्होंने कहा कि वह कोच्चि शिपयार्ड लिमिटेड और नौसेना की साझेदारी से बने पहले स्वदेशी विमान वाहक मिसाइल डिस्ट्रॉयर को देखकर काफी खुश हैं । मालूम हो कि निरीक्षण के समय सर्वानंद सोनोवाल के साथ नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और नौसेना के अन्य अधिकारी भी मौजूद थे ।
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