स्विस बैंक का नाम भारत मे काफी सुना -सुना है और भारतीय इससे अच्छी तरह रू ब -रू हैं। एक बार फिर से स्विस बैंक को लेकर खलबली मची हुई है। जून माह मे स्विस बैंको की एक रिपोर्ट आई है, जिसके मुताबिक वहाँ भारतीय द्वारा जमा की गई रकम पिछले 13 सालो मे सबसे अधिक है। यह राशि 20700 करोड़ रुपए हैं। लेकिन क्या यह काला धन का ही अड्डा है, आमलोग यहाँ खाता खुलवा सकते हैं या नहीं, आज हम आपको यह बताने वाले हैं।
स्विट्जरलैंड अपनी नैसर्गिक खूबसूरती और चम्चमाती इमारतो के लिए मशहूर है, लेकिन यह सदियों से काला धन की जमाखोरी का अड्डा भी रहा है। टैक्स की चोरी करने और वास्तविक रकम छिपाने के लिए लोग अरसो से स्विस बैंको का शरण लेते रहे हैं, यह अपनी गोपनीयता के नियमो के चलते जहां ग्राहको का पसंदीदा है तो वहीं बदनामी भी झेलता रहा है। लेकिन अब यह अपने यहाँ जमा पैसों की मोटा मोटी जानकारी देने लगा है।
क्या है नियम
यहाँ के तकरीबन 400 बैंक बैंक स्विस फेडरल बैंकिंग एक्ट के गोपनीयता कानून के सेक्शन 47 के तहत आते हैं ,इस धारा के कारण वे अकाउंट होल्डर के बारे मे कोई जानकारी ना देने का अधिकार रखते है, पुलिस भी पुछ्ताछ नहीं कर सकती जब तक खाताधारक किसी ऐसे वित्तीय अपराध से जुडा ना हो जिसे स्विट्जरलैंड मे भी अपराध माना जाता हो। गोपनीयता के इस नियम का इतिहास सदियों पुराना है, जिसकी शुरू 17वीं सदी के ग्रांड कौंसिल ऑफ जिनेवा के एक कोड से हुई थी। तब के महान फ्रांसीसी लेखक और दर्शक वॉल्टेयर ने कहा था यदि आप किसी स्विस बैंकर को खिड़की से कूदकर भागता देखें तो उसके पीछे जरूर दौड़े, इससे आपको कोई ना कोई फायदा जरूर होगा।
प्रथम और दूसरे विश्व युद्ध के दौरान पडो़सी देश स्विस बैंक पर आग- बबूला रहते थे, क्योंकि यह टैक्स चोरी का सुखद अड्डा था। जर्मनी ने स्विस बैंक मे रूपये जमा करने पर मृत्युदंड का कानून बनाया था और कई यहुदियो को इस आरोप मे मौत की सजा भी दी गई थी।स्विस बैंको मे गोपनीयता के नियम के पीछे यह भी अवधारणा रही कि राजनैतिक अस्थिरता वाले देशों में लोगों का पैसा सुरक्षित रहे. जैसे कि सूडान, नॉर्थ कोरिया या इराक ।
क्या कोई भी खुलवा सकता है स्विस बैंक में अपना अकाउंट?
स्विस् बैंको मे खाता खोलने के लिए आपका मालामाल होना जरुरी नहीं है। आम आदमी के लिए भी वही कायदे है जो अमीरो के लिए। खाता खोलने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होता है। इसके लिए पहचान संबंधी दस्तावेज भेजने होंगे जो सरकारी एजेंसी से सत्यापित हों। ये ई-मेल भी किया जा सकता है। लेकिन बिना नाम दिए खाता खुलवाने के लिए स्विटजरलैंड जाना होता है। टैक्स चोरी के लिए खोले खाता को नंबर्ड अकाउंट कहा जाता है, क्योंकि नाम के बदले नंबर का प्रयोग होता है। इसकी शुरुआत काफी काफी मोटी रकम से होती है और हर साल लगभग 20 हजार रुपए मेंटेनेंस चार्ज हो जाते है। ट्रांजेक्शन नाम पर नहीं बल्कि नंबर पर होता है, बैंक के सामान्य अधिकारी के पास भी पहचान के लिए वही नंबर रहता है।
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