एक दौर में भारतीय रेलवे (Indian Railway) ट्रेन में लगने वाले पहियों के लिए आयात के कारोबार पर पूरी तरह से निर्भर था, लेकिन अब बदलते आत्मनिर्भर भारत ने धीरे-धीरे इस निर्भरता को खत्म करते हुए आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) की ओर एक और कदम रखने की तैयारी कर ली है। दरअसल पहले रेल के इंजन, एलएचबी कोच (LHB Coach) और हाई स्पीड ट्रेनों (Indian Railway High Speed Train) के लिए पहिए विदेश से ही मंगवाए जाते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इस बात की जानकारी खुद रेलवे मंत्रालय ने साझा की है। दरअसल रेल मंत्रालय कुछ ऐसी योजनाएं बना रही है, जिसके जरिए अब रेल के पहिए (Indian Railway Wheel) भारत में ही बनाए जाएंगे।
हर साल 80000 रेल के पहिए होंगे मैन्युफैक्चर
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा साझा जानकारी में बताया गया कि रेलवे ने नया पहिया कारखाना खोलने के लिए टेंडर जारी करने वाला है। इस कारखाने में हर साल कम से कम 80000 पहियों को मैन्युफैक्चर किया जाएगा। साथ ही रेल पहियों का निर्यातक बनने के लिए एक खाका भी तैयार किया जा रहा है।
अश्विनी वैष्णव ने कहा रेलवे ने पहली बार रेल पहिया संयंत्र लगाने के लिए निजी कंपनियों को आमंत्रित किया है। मेक इन इंडिया के मद्देनजर संयंत्र में तेज रफ्तार वाली ट्रेनों और यात्री को ढ़ोने वाली ट्रेनों के लिए पहिये बनाए जाएंगे। इस दौरान हर साल 80,000 पहियों की 600 करोड़ रुपए की लागत खरीद तय की गई है। उन्होंने कहा कि यह पहला मौका होगा जब रेलवे ने पहियों के विनिर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया जारी करते हुए निजी कंपनियों को भी आमंत्रित किया है।
रेलवे ने जारी किया निजी कंपनियों के लिए टेंडर
गौरतलब है कि भारतीय रेलवे को हर साल 2 लाख पहियों की जरूरत होती है। इस योजना के मुताबिक स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड जहां 1 लाख पहियों का निर्माण करेगी, वही बाकी 1 लाख पहिए मेक इन इंडिया संयंत्र से बनाये जाएंगे। अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह टेंडर इसी शर्त पर दिया जाएगा कि फैक्ट्री में बनाने वाले रेल पहिया का निर्यात भी यहीं किया जाएगा और यह निर्यात यूरोपीय बाजारों में ही किया जाएगा।
अभी किन देशों से होता है पहिंये का आयात
बात मौजूदा समय की करें तो बता दे हाल फिलहाल रेलवे बड़े पैमाने पर यूक्रेन, जर्मनी और चेक गणराज्य से पहियों का आयात करवाता है, लेकिन यूक्रेन और रूस के हमले के चलते पहियों की खरीद बीते कुछ महीनों में अटक गई है और रेलवे को विकल्प तलाशने के लिए मजबूर होना पड़ा है। यही वजह है कि अब रेलवे ने आधुनिक भारत के जरिए भारत में ही पैसों को बनाने का फैसला किया है। रेल मंत्री ने बताया कि टेंडर जारी कर दिया गया है। हम 1960 से ही यूरोपीय देशों से पहियों का आयात करते रहे हैं। अब हम इनका विनिर्माण और निर्यात करेंगे। उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तकनीकी विश्लेषण और इसके लिए जरूरी कच्चे माल की देश में उपलब्धता जैसे बिंदुओं पर गहन चर्चा के बाद लिया गया है।
रेलमंत्री ने साझा की पूरी जानकारी
विदेशी लागत पर पहियों की खरीद की बात करें तो बता दें कि रेल अधिकारियों द्वारा साझा जानकारी में बताया गया कि घरेलू स्तर पर रेल पहिया बनाने के लिए रेलवे को काफी बचत हो सकती है, क्योंकि उसे एक पहिये के आयात पर 70,000 रुपये का भुगतान करना होता है। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत में माल ढुलाई के लिए बनाए गए गलियारा और बुलेट ट्रेन के लिए उच्च क्षमता वाले पहियों का आयात किया था, लेकिन अब देश में इन्हें बनाने के लिए एक समझौता होने वाला है। इस मेक इन इंडिया समझौते के तहत देश के भीतर ही उच्च क्षमता वाली तकनीत से बनाया जायेगा। बता दें रेलवे ने बीते मई महीने में भारत ट्रेनों के लिए 39000 पहियों की सप्लाई का 170 करोड रुपए का ठेका चीन की एक कंपनी को भी दिया था।
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