बिहार के इस कस्बे में बनता है देश का सबसे पावरफुल रेल इंजन, जाने क्या है इसके पीछे की वजह?

Most Powerful Rail Engine: भारतीय रेलवे (Indian Railway) से हर दिन लाखों की तादाद में लोग सफर करते हैं। ऐसे में रेलवे से सफर करने वाले लोगों में अगर आप भी शामिल हैं, तो आप के दिमाग में भी यह सवाल जरूर उठता होगा कि आखिर इस रेल के इंजन, इसके डिब्बे, माल ढोने वाले डिब्बे, गार्ड का डिब्बा, यह सब कुछ कहां बनता है? कहां भारत की सबसे शक्तिशाली ट्रेन के रेल इंजन (Railway Engine) तैयार किए जाते हैं। क्या यह किसी दूसरे देश से आते हैं, तो ऐसे में हम आपको बता दें कि भारत के यह शक्तिशाली रेल इंजन स्वदेशी है। इन्हें भारत में ही तैयार किया जाता है। बता दे इनका निर्माण पूर्वोत्तर बिहार के छोटे से कस्बा मधेपुरा (Madhepura) में होता है। क्या है इसका पूरा इतिहास…? आइए हम आपको विस्तार से बताते हैं।

कहां तैयार होते है देश की रेलगाड़ियो के रेल इंजल

मधेपुरा की रेल इंजन फैक्ट्री रेल मंत्रालय (Railway Ministry) (Madhepura Electric Locomotive Pvt. Ltd.-MELPL) और फ्रांसीसी कंपनी अल्स्टोन का एक ज्वाइंट वेंचर है। यहीं पर देश की तमाम रेलगाड़ियों के इंजन तैयार किए जाते हैं। इन दोनों कंपनियों के समझौते के बाद मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव प्राइवेट लिमिटेड (Madhepura Electric Locomotive) नाम की कंपनी का गठन किया गया था। खास बात यह है कि इस कंपनी के साथ रेलवे ने खरीद-सह-रखरखाव समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका मतलब है कि एक नियत समय में कम से कम उतने इंजन तो खरीदे जाएंगे जितने का उल्लेख उस समझौते में किया गया है। साथ ही इसके रखरखाव का जिम्मा भी कंपनी का ही होगा।

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शक्तिशाली इंजन बनाने की लिस्ट में छठे नंबर पर भारत

गौरतलब है कि दुनिया के अधिकतर देशों में रेल प्रणाली मौजूद है। ऐसे में कुछ देश रेलवे प्रणाली के लिए इंजन कोच और माल डिब्बे बनाने का काम करते हैं, लेकिन इतना शक्तिशाली इंजन दुनिया भर के किसी भी देश में नहीं बनाया जाता। भारत इस तरह का इंजन बनाने वाला छठा देश है। इससे पहले भी भारत में इस तरह के शक्तिशाली इंजन बनाए जाते रहे हैं, लेकिन उनकी क्षमता 5000 हॉर्स पावर के करीब ही थी। मधेपुरा के रेल इंजन कारखाना को लगाने का श्रेय बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव को जाता है, जिन्होंने इस रेल का इंजन कारखाना को जब लगाया था तब वह तत्कालीन रेल मंत्री के पद पर कार्यरत थे।

बता दे किसी भी रेलवे द्वारा दुनिया में पहली बार इतनी बड़ी लाइन का नेटवर्क भी इतनी अधिक हॉर्स पावर वाले लोकोमोटिव का परीक्षण किया गया है, जिसमें इन इंजनों को मधेपुरा कारखाने में ही बनाया जाता है। खास बात यह है कि इस परियोजना के मद्देनजर बिहार के मधेपुरा में टाउनशिप के साथ ही इस फैक्ट्री को स्थापित किया गया था, जहां हर साल 120 लोकोमोटिव का निर्माण होता है।

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किस तरह के होते हैं मधेपुरा में बनने वाले इंजन

बता दे मधेपुरा में बनने वाले ये ट्वीन इंजन बोबो डिजाइन वाले होते हैं। इन रेल इंजन का एक्सेल लोड 22.5 टन का होता है, जिसे 25 टन तक बढ़ाया जा सकता है। खास बात यह है कि यह इंजन 120 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से फुली लोडेड मालगाड़ी को बढ़ा सकते हैं। इतना ही नहीं इनकी मदद से भारत में माल गाड़ियों की औसत गति और भार ले जाने की क्षमता भी दूसरे देशों के मुकाबले सबसे बेहतर है।

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इंजन में लगाया जाता है GPS सिस्टम

बता दे मधेपुरा में बनने वाले यह रेल इंजन स्टेट ऑफ द आर्ट आईजीबीटी आधारित 3 फेस ड्राइव 9000 किलो वाट के हैं, जिनमें जीपीएस भी लगाया जाता है। जीपीएस की सहायता से इन्हें कहीं भी ट्रैक किया जा सकता है। यह इंजन मेड इन इंडिया होते हैं और इनके जैसी क्षमता दुनिया के तमाम इंजन में नहीं होती है।

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