देश के सबसे बड़े रबर डैम का उद्घाटन बिहार के गया में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किया गया है। इस रबर डैम के जरिए देश दुनिया भर से पितृपक्ष के दौरान पिंडदान के लिए गया आने वाले लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं को पानी की समस्या से होने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलेगी। यह रबर डैम लोगों को उनकी जरूरत का पानी मुहैया कराने का काम करेगा।अब रबर डैम का नाम सुन लोगो के मन मे जरूर आता है कि ये रबर डैम क्या होता है? रबर डैम कैसे काम करता है? रबर डैम बनता कैसे है ? इन सब प्रशनों का जबाब आपको इस आर्टिक्ल मे मिलेगा… तो आइये जानते है ….
क्या होता है रबर डैम यानी फ्लेक्सी चेक डैम (What is Rubber Dam)
यह एक लचीला चेक डैम या रबर बांध फुलाई जा सकने वाली एक ऐसी सरचना है, जिसे जल संरक्षण, बाढ़ नियंत्रण और जल के बहाव को नियंत्रित करने के लिए बनाया जाता है। जब यह फूला हो तो यह एक चेक डैम या बांध के रूप में काम करता है और जब यह फूला ना हो तो बाढ़ को कम करने तथा तलछट को बहा देने का काम करता है। रबर बांध की ऊंचाई में परिवर्तन किया जा सकता है। खास बात ये हैं कि आवश्यकता के मुताबिक इसकी लंबाई को बढ़ाया या घटाया जा सकता है। यह परिवर्तनीय शीर्ष सहपथ निकास में बहाव की गहराई को भी सिंचाई के लिए नियंत्रित करता है, जो संरचना की ऊपरी धारा की और होता है।
कैसा दिखता है रबर डैम या रबर बांध (what does Rubber Dam look like)
एक रबर बांध या रबर डैम किसी भी आकार का हो सकता है। इसकी ऊंचाई 1 मीटर से 100 मीटर या इससे अधिक भी हो सकती है। कुछ रबर बांधों को ओडिशा में स्थापित किया गया है। बता दें इन रबर बांधों को भारत में स्वदेशी तकनीक के तहत बनाया गया है।
किन किन चीजों से बनता है रबर डैम (What components are made of Rubber Dam)
- एक नव हाइड्रोक्लोरिक संरचना के रूप में विकसित किया गया रबड़ 5 मुख्य भागों में तैयार किया जाता है।
- कंक्रीट के आधार पर इसमें शीर्ष की दीवार बढ़ाई जाती है। पार्षद की दीवार और बाहर की और बढ़ाई गई दीवार एक सामान्य चेक डैम की तरह होती है।
- इसके बाद शीर्ष की दीवार रबर युक्त फैब्रिक डैम से विस्थापित की जाती है।
- इसके साथ ही रबर शीट को तली के साथ और चेक डैम की पार्षद दीवारों के साथ इसे मजबूती से जमाया जाता है।
- इस रबर डैम में एक एंट्री और एक एग्जिट के लिए दी जाने वाली पाइप प्रणाली के तहत इसे बनाया जाता है, ताकि पानी के द्वारा रबर की संरचना को फुलाया और समतल किया जा सकें।
- इसके साथ ही इसमें पानी भरने के लिए एक पंप भी दिया जाता है।
क्या है रबर डैम के लाभ (Rubber Dam Benefits)
रबर डैम के मुख्य लाभ बेहतर जल संरक्षण, मिट्टी का कटाव नियंत्रण और बाढ़ के दौरान अत्यधिक जल के प्रवाह पर नियंत्रण करना है। खास बात यह है कि यह ना सिर्फ एक बांध के रूप में काम करता है, बल्कि साथ ही अल्पवर्षा काल में सूखे के दौरान जलाशय के रूप में जल की आपूर्ति भी कराता है, ताकि फसलों को पूरक शिक्षा के लिए आवश्यकता अनुसार जल मुहैया कराया जा सके। इस तकनीक से वर्षा आधारित कृषि परिस्थितियों की प्रणालियों में तथा समुद्र तटीय क्षेत्रों जो कि चक्रवात, बाढ़, ज्वार, सुनामी आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के लिए अति संवेदनशील होते हैं। ऐसे हालातों में किसान रबर डैम लाभ उठा सकते हैं और आपत्ति से बच सकते हैं।
क्या है रबर बांध और पारंपरिक बांध (कंक्रीट वाले) में अंतर और कौन है बेहतर
पारस्परिक चेक डैम-
- एक पारंपरिक चेक डैम निरंतर तलछट के आने की वजह से गाद हो जाते हैं।
- सूखे की अवधि में शीर्ष दीवार की ऊंचाई अधिकतम पानी जमा करने के लिए नहीं बढ़ाई जा सकती।
- इसके साथ ही शीर्ष दीवार की कठोरता के कारण तेज बारिश और बाढ़ के दौरान पारंपरिक चेक डैम की संरचना को नुकसान पहुंच सकता है।
- भूकंप वाले क्षेत्र में छोटे कंपन या भूकंप के दौरान शीर्ष दीवारों में दरार आने से डैम को नुकसान हो सकता है।
- पारंपरिक चेक डैम की जीवन अवधि 10 से 24 साल की होती है।
- पारंपरिक चेक डैम में अधिक पानी जमा हो जाने से इसके ऊपरी पक्ष के किसानों के बीच संघर्ष जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
रबर डैम-
- वही बात अगर रबर बांध की करें तो बता दे कि जब रबर बांध फूला होता है, तो बाढ़, उच्च अपवाह के कारण तलछट बाहर नीचे की ओर निकाल देने का काम करता है।
- साथ ही रबर बांध को फुलाकर अधिक पानी जमा करने के लिए भी बढ़ाया जा सकता है।
- भूकंप से रबर बांध को नुकसान बिल्कुल भी नहीं पहुंचता, क्योंकि यह रबर का बना होता है और लचीला होता है। साथ ही पार्श्व दीवार और बाहर की और बढ़ाई गई दीवार की मरम्मत भी बड़ी आसानी से की जा सकती है।
- बात बरब डैम के जीवन कार्यकाल की करें तो बता दें कि यह 24 साल तक बिना किसी नुकसान के काम कर सकता है।
- रबर बांध द्वारा पानी नियंत्रित करना आसान होता है। सामान्यता ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होती, क्योंकि जल की वंचित मात्रा का भंडार इसके जरिए पहले ही नियंत्रित किया जा सकता है और उसे नियंत्रित रूप से छोड़ा भी जा सकता है।
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