अगले 5 सालों मे स्वदेशी हथियारों से लैस भारतीय सेना बनेगी सर्वश्रेष्ठ , डरेंगे दुश्मन और दहलेंगे दिल

जब हमारा भारत आजाद हुआ था, तो उस वक्त हमारे देश की आर्थिक सामाजिक हालत अत्यंत दयनीय हो चुकी थी क्योंकि शताब्दी पहले से शोषण किया जा रहा था। लेकिन आजादी के तुरंत बाद के भारत और आज के भारत मे बहुत कुछ बदल गया है। वीरो का देश भारत आज वीरता के, आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता के नये दास्तान लिख रहा है। अपने सीमा की हिफाजत के लिए आज हमारे देश के पास अजेय सेना है। भारत के सरजमीं, समंदर और आसमान अजेय हैं, क्योंकि उनकी सुरक्षा की कमान हमारी 14 लाख की विशाल जल-थल-नभ सेना के पास है।

तीन सैन्य नायकों जी. डी. बख्शी, पी. के. सहगल, मोहन भंडारी और वीर चक्र से सम्मानित कर्नल (रिटायर्ड) अशोक कुमार तारा की जुबानी आज हम अपने सेना की वीरता के गाथे तथा अगले पांच सालों में हमारी सेना की तस्वीर कैसी होगी, यह जानने की कोशिश करते हैं:अगले पाँच साल मे भारत के रक्षा क्षेत्र मे ये पाँच बड़े व्यापक बदलाव होंगे:

रक्षा के लिए आयात निर्भरता खत्म करने की ओर बढ़ता कदम

2014 में भारत का डिफेंस इक्विपमेंट एक्सपोर्ट सालाना 2,000 करोड़ रुपये का था। लेकिन सितंबर 2014 में रक्षा सचिव की अध्यक्षता में डिफेंस एक्सपोर्ट मे भारत को आगे बढ़ाने के लिए एक कमेटी गठित की गई , जिसमें सरकारी कंपनी के साथ निजी क्षेत्र को भी अहमियत दी गई। 5 फरवरी 2020 को लखनऊ में हुए डिफेंस एक्सपोर्ट को संबोधित करते हुए हमारे पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि “ डिफेंस एक्सपोर्ट 2014 में 2,000 करोड़ रुपये था जो अब बढ़कर 17,000 करोड़ रुपये तक हो चुका है और आनेवाले 5 वर्षो में ये 5 अरब डॉलर यानि 35,000 करोड़ रुपये हो जाएगा।

स्वदेशी हथियारों का किया जाएगा निर्यात

ऐसे हथियार, जो पूरी तरह भारत मे बनाए जाते हैं, जैसे हल्का लड़ाकू विमान तेजस, हल्के हेलीकॉप्टर, पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर, ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम, एस्ट्रा एयर टू एयर मिसाइल वगैरह के निर्यात् किए जाने को लेकर सरकार जागरुक् है और उसके लिए आवश्यक नीति बहाल की जाएँगी ।

राफेल और एस-400 से वायु सेना में की ताकत को मिलेगी लम्बी उड़ान

अगले 5 सालों में भारत की वायुसेना दुनिया की मजबूत और दुशमनो के लिए खतरनाक वायु सेना मे से एक होगी। 2022 तक फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमानों की डिलीवरी पूरी हो जाएगी तो वहीं रूस से मिलने वाला एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल डिफेंस सिस्टम एस-400 की डिलिवरी इस वर्ष अक्टूबर से दिसंबर के बीच शुरू हो जाएगी। इसके साथ ही रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की 5 यूनिट की पूरी डिलिवरी 2025 तक पूरी हो जायेगी। इस एयर डिफेंस सिस्टम से किसी भी तरह के संभावित हवाई हमले का पता लगाना संभव होगा। यह सिस्‍टम अत्याधुनिक रडारों से लैस है। उपग्रहों के माध्यम से यह दुश्मनों की तमाम जानकारी हासिल कर लेता है, इसके आधार पर यह पता लग जाएगा कि लड़ाकू विमान कहां से हमला कर सकते हैं। इसके साथ यह एंटी-मिसाइल दागकर दुश्मन विमानों और मिसाइलों को हवा में ही खत्म कर सकता है।

विक्रांत से होगा समंदर पर राज

समुद्री क्षेत्र मे भी दुश्मन की हिम्मत और उसकी बदनीयती को चूर चूर करने के लिए इस क्षेत्र मे भी भारत ने नई उपलब्धि दर्ज की है। देश में निर्मित पहले एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत का परीक्षण कर लिया गया है जो जल्द नौसेना को बहुत मजबुती देगा। 23,000 करोड़ रुपये की लागत से इसे तैयार किया गया है। लेफ्टिनेंट जनरल मोहन भंडारी बताते है कि विक्रांत समुद्री जहाज को पानी में उतरता देखकर पूरे देश का सीना गर्व से चौड़ा हो गया।

हथियारों की घरेलू डिजाइन और रिसर्च पर फोकस

देश में रक्षा विनिर्माण से 2025 तक 1.75 लाख करोड़ रुपये के कारोबार का लक्ष्य रखा गया है। सरकार के मुताबिक कोविड-19 से हार चुकी पूरी अर्थव्यवस्था में फिर से जान फूंकने की क्षमता सिर्फ रक्षा क्षेत्र मे है। रक्षा मंत्रालय की तरफ से देश में रक्षा विनिर्माण के लिए ‘रक्षा उत्पादन एवं निर्यात संवर्द्धन नीति 2020’ का मसौदा तैयार किया गया है। इसमें मेक इन इंडिया से जो भी रक्षा उत्पाद देश में निर्मित होंगे उसके लिए घरेलू डिजाइन को ही अपनाया जाएगा। इसके लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर फोकस किया जाएगा। एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन से भी इसे जोड़ा जाएगा।

Manish Kumar

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