90 का दशक बिहार की राजनीति के लिए बहुत एतिहासिक माना जाता है। इस दौरान जहां राज्य में कई बड़े नेताओं का उदय हो रहा था, वहीं कुछ ने सिर्फ राजनीति की दुनिया में कदम रखा था। यह कहानी है बिहार के जाने माने बाहुबली दिलीप सिंह की। बात 90 के दशक शुरू होने से कुछ पहले की है। मोकामा से कांग्रेस के विधायक श्याम सुंदर सिंह ‘धीरज’ बिहार सरकार में मंत्री बन गए थे। उनके द्वारा कही गयी कुछ बात दिलीप सिंह को इतनी चुभी की उन्होंने खुद राजनीति में उतरने का फैसला कर लिया।
कुछ इस तरह का रहा है इतिहास
बिहार के बाढ़ में राजपूत और भूमिहार के बीच लड़ाई का एक इतिहास रहा है। यहीं के लदमा गांव में दिलीप सिंह का परिवार रहा करता था। उनके पिता एक किसान थे और वो वामपंथियों के समर्थक भी थे। उनके चार बेटे थे-बिरंची सिंह, फाजो सिंह, दिलीप सिंह और अनंत सिंह। इसमें बिरंची सिंह और फाजो सिंह की मौत हो गयी । इसके बाद दिलीप सिंह ने अपना रूतबा बनाने की कोशिश करना शुरू कर दिया। उनके पास लदमा में कई घोड़े थे। ये घोड़े पाले और टमटम चलवाने के काम में आते थे। इसी काम की वजह से वो मध्य बिहार में एक रंगदार कामदेव सिंह के संपर्क में आए। इसी समय उन्होंने रंगदारी का काम शुरू कर दिया था. कुछ ही समय में उनका नाम नामी रंगदारों में आने लगा था।
जब चुभी मंत्री की बात और उतरे राजनीति में
इलाके के बुजुर्ग बताते हैं कि एक बार दिलीप सिंह श्याम सुंदर सिंह ‘धीरज’ से मिलने उनके पटना के सरकारी आवास में चले गए थे। मंत्री जी ने दिलीप सिंह से साफ कह दिया कि दिन के वक्त मिलने मत आया करो। शरीफ आदमी या कोई अधिकारी तो हो नहीं। शाम होने के बाद आया करो, वो भी चुपके-चुपके।
ये बात दिलीप सिंह को चुभ गई। उन्हें समझ में आ गया था कि ताकत होने के बाद भी लोग उनकी इज्जत नहीं करते हैं. ऐसे में अपने सम्मान के लिए उन्होंने श्याम सुंदर सिंह ‘धीरज’ के खिलाफ ही 1990 के विधानसभा चुनावों में उतरने का फैसला किया. उन्हें जनता दल ने अपना उम्मीदवार बनाया था. उन्होंने आगामी विधानसभा चुनावों में मंत्री श्याम सुंदर धीरज के खिलाफ ही ताल ठोकने का फैसला किया और जीत हासिल की।
इस चुनाव में दिलीप सिंह को 52,455 वोट हासिल हुए थे जबकि श्याम सुंदर धीरज को सिर्फ 30,349 वोट ही मिले थे। इस जीत के बाद वो लालू प्रसाद यादव की सरकार में मंत्री भी बने थे। वहीं, 1995 के विधानसभा चुनावों में भी दिलीप सिंह ने जीत हासिल की थी। दिलीप सिंह को इस चुनाव में 38,464 वोट मिले थे जबकि श्याम सुंदर धीरज को केवल 31,517 वोट ही हासिल हुए थे।
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