कभी नीतीश कुमार के दाहिना हाथ रहे प्रशांत किशोर कैसे आखों की किरकिरी बन गए !

पीके यानि प्रशांत किशोर जिन्हें राजनीति का सबसे बड़ा चाणक्य कहा जाता है। प्रशांत किशोर राजनीतिक पार्टियों के लिए रणनीति बनाने का काम करते हैं। PK को रणनीति बनाने में महारत हासिल है। प्रशांत किशोर को चुनाव के दौरान कई नेताओं से आमना-सामना हुआ है और उन्होंने हर किसी को पटकन दी है, चाहे वह अमित शाह ही क्यों ना हो।

प्रशांत किशोर ने अपने सियासी पारी का आगाज जेडीयू से किया था। उन्हें नीतीश कुमार का एक हाथ कहा जाता था। नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को बिहार का भविष्य तक बता दिया था। लेकिन हवा का रुख कुछ यूं बदला कि इन दोनों के रिश्तो के बीच कड़वाहट आ गई और नीतीश कुमार ने अपने इस रत्न को पार्टी से ही बाहर निकाल दिया। आखिर इन दोनों के बीच का यह रिश्ता क्यों बिगड़ा इसके पीछे की वजह क्या हैं इस आर्टिकल के जरिए जानते हैं।

2013 मे मोदी सरकार लाने मे बने अहम वजह

साल 2013 लोकसभा चुनाव के दौरान प्रशांत किशोर ही मोदी सरकार के लिए रणनीति बनाने का काम किया था, इस वजह से वह सुर्खियों में आए थे। लेकिन अमित शाह और प्रशांत किशोर के बीच मतभेद होने के कारण उन्होंने नीतीश कुमार के पार्टी JDU की कमान संभाल ली।साल 2015 बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ के आरजेडी और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाया और इसके चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी प्रशांत किशोर को मिली। इसके बाद जो हुआ उसे पूरा देश ने देखा महागठबंधन ने बीजेपी को करारी शिकस्त दी, जीत की खुशी में नीतीश कुमार ने उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दे दिया था।

हालांकि जेडीयू और आरजेडी के रिश्ते की तल्खी के वजह से दोनों का गठबंधन टूट गया और एक बार फिर नीतीश कुमार ने पाला बदलकर बीजेपी से हाथ मिला लिया। इसके बावजूद नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर की केमिस्ट्री बनी रही। 2018 में प्रशांत किशोर जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष घोषित किए गए।राजनीति में ट्विस्ट तब आया जब JDU के दो दिग्गज नेता ललन सिंह और आरसीपी सिंह का पत्ता कटने लगा तो उनकी अमित शाह से बनने लगी और अमित शाह ने आरसीपी सिंह के जरिए नीतीश कुमार के साथ सीट शेयरिंग पर बातचीत शुरू की।

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आखिरकार किया पार्टी से बाहर

साल 2019 में पीके धीरे-धीरे साइडलाइन होते गए और लोकसभा चुनाव के दौरान JDU के प्रचार की कमान आरसीपी सिंह को मिली। नागरिकता संशोधन कानून पर जेडीयू ने मोदी सरकार का साथ दिया इस बात का प्रशांत किशोर ने खुलकर विरोध किया। यही वजह रही कि नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर के रिश्तो में कड़वाहट आने लगी। दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर ने आम आदमी पार्टी के लिए रणनीति बनाने का काम किया। इसी बीच प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार और बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया जिसके बाद नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

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