खेती वाले जमीन पर बनाया है मकान, तो पड़ सकता है तोड़ना, बनाने से पहले जान लें ये जरूरी बातें

House construction tips: देश में दिन-प्रतिदिन बढ़ रही जनसंख्या में कई तरह की परेशानियां भी बढ़ा दी हैं। बढ़ती जनसंख्या से घरों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है और कृषि योग्य भूमि पर लोगों के बसने से खेती भी सिमट रहा है। ऐसे में अब जहां खेती हो रही थी, उन जमीनों को भी प्लॉट काटकर बिक्री किया जा रहा है। यदि आप अपना घर निर्माण के लिए कोई प्लॉट खरीदना चाह रहे हैं तब आपको सचेत रहने की आवश्यकता है।

ये है प्रक्रिया (House construction tips)

अगर आपको खेती की जमीन पर मकान का निर्माण करना है तो पहले कन्वर्जन की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। तभी आप खेती की जमीन पर मकान का निर्माण कर सकते हैं। भारत के कुछ राज्यों में ही कन्वर्जन का नियम है। बताते चलें कि जब खेती की भूमि को आवास भूमि में चेंज किया जाता है तब आपको कुछ राशि भी देनी होती है। इसके साथ ही आपको ग्राम पंचायत या नगर निगम से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने की आवश्यकता होती है।

क्या है खेती योग्य भूमि?

ऐसी जमीन जहां किसी तरह की फसलों का उत्पादन होता है, उसकी गिनती खेती योग्य जमीन में होती है। अमूमन कृषि भूमि इलाके के हिस्से के रूप में गिने जाने वाली कृषि कार्यों, चारागाहों, और फसलों आदि के उपयोग के लिए इस्तेमाल में लाई जाती है। इनमें हर साल किसानों के द्वारा फसलें उगाई जाती है। इस भूमि पर आप का मालिकाना हक होने के उपरांत इसमें आप मकान नहीं बना सकते हैं। घर निर्माण के लिए आपको सरकार से अनुमति लेने की जरूरत है।

क्या है भूमि का कनवर्जन?

कृषि योग्य जमीन को मकान योग्य जमीन में चेंज करने के लिए आपको कन्वर्जन करवाना पड़ता है, इसके लिए कुछ आवश्यक कागजातों की आवश्यकता होती है। इसमें भूमि के मालिक का आईडेंटिटी सर्टिफिकेट होना जरूरी है। इसके अलावा किरायेदारी, फसलों का रिकॉर्ड और मालिकाना हक अनिवार्य है। वहीं, सर्वे मैप, लैंड यूटिलाइजेशन प्लान, जमीन रेवेन्यू की रसीद डिमांड जाती है। इसके साथ ही उस भूमि पर कोई बकाया पैसा या फिर कोई केस दर्ज नहीं होना चाहिए।

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