खेसारी की भाभी ने होली पर फाड़ दी थी उनकी पैंट, इज्जत बचाने के लिए करना पड़ा ये काम

Khesari Lal Yadav Holi Song: होली का त्योहार आ गया है। 7 मार्च को छोटी होली यानी होलिका दहन मनाया जाएगा और 8 मार्च को गुलाल उड़ाकर लोग एक-दूसरे को अपने रंग में रंगते नजर आएंगे। ऐसे में होली का बेसब्री से इंतजार कर रहे लोग पहले से ही होली के गानो की लिस्ट भी तैयार कर चुके हैं। यूपी-बिहार में बिना भोजपुरी गानों के होली के रंग फीके नजर आते हैं, लेकिन ऐसे में होली के रंग भरे त्यौहार पर आइए हम आपको खेसारी लाल यादव से जुड़ा एक बेहद दिलचस्प किस्सा सुनाते हैं जब उन्हें होली के मौके पर सरेआम शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी।

Khesari Lal Yadav

जब खेसारी की भाभी ने होली पर फाड़ दी थी उनकी पैंट

भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के ट्रेनिंग स्टार कहे जाने वाले खेसारी लाल यादव का बचपन गरीबी में बीता है। सड़कों पर लिट्टी-चोखा बेचने से लेकर भोजपुरी के सुपरस्टार बनने तक खेसारी ने अपनी पहचान अपने दम पर कमाई है। एक इंटरव्यू में खुद खेसारी ने बताया था कि चाचा के बच्चों को मिलाकर कुल वह 7 भाई-बहन है और उनके पिता ने ही सातों भाई बहनों की परवरिश की है। इस दौरान इंटरव्यू में खेसारी ने अपने बचपन का एक होली से जुड़ा दिलचस्प किस्सा भी सुनाया।

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खेसारी ने बताया कि बचपन में वह सभी एक ही पैंट पहना करते थे। बड़े भाई को जब वह पैंट छोटी हो जाती थी, तो उसे छोटा भाई पहन लेता था। ऐसा करके उनके पास बस एक ही पैंट थी, जिसे वह पहना करते थे। खेसारी ने उस पैंट को एक बार होली के मौके पर पहना लिया, क्योकि वह पहले से फटी हुई थी। इसलिए उन्होंने सोचा कि इसे होली पर पहन सकते हैं। ऐसे में जब उन्होंने उसे होली पर पहना, तो उनकी भाभी ने उसे फाड़ दिया। दरअसल होली के मौके पर उनकी भाभी ने रंग लगाते हुए उन्हें घसीट दिया था, जिससे वह पैंट पूरी तरह से फट गई थी और इसके बाद उन्हें शर्मिंदगी झेलनी पड़ी थी।

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आज भी याद आती है बचपन की होली- खेसारी

खेसारी ने कहा कि बचपन में जब किसी की भी पेंट खुल जाती थी, तो भाभी पहले ही मजाक करने लगती थी। ऐसे में पैंट फटने के बाद तो वह शर्म से लाल हो गए और जैसे-तैसे वहां से अपनी इज्जत बचा कर भागे थे। खेसारी ने कहा आज भी उन्हें वह बचपन की होली के मौके बहुत याद आते हैं, जब लोग त्यौहार के मौके पर एक-दूसरे से मिलने जाया करते थे। अब तो लोगों के बीच दूरियां आ गई है। लोग अपने घर में ही त्यौहार मना लेते हैं। खेसारी कहते हैं कि आज भी उन्हें अपनी गांव की मिट्टी, अपनी मां का प्यार और अपना बचपन बहुत याद आता है।

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