Hero Motorcorp Owner Brij Mohan Munjal Success Story: जब भी भारत में मिडिल क्लास फैमिली के लिए अच्छे और बेहतरीन दोपहिया बहन को खरीदने की बात आती है, तो सबसे पहला नाम दिमाग में हीरो मोटर कॉर्प का ही आता है। इस कंपनी ने इंडियन ऑटो इंडस्ट्री में खास तौर पर मिडिल क्लास के लिए एक से बढ़कर एक बाइक और मोटरसाइकिल लॉन्च किए हैं। ऐसे में क्या आप इस कंपनी की स्थापना करने वाले देश के फेमस कारोबारी बृजमोहन लाल मुंजाल के बारे में जानते हैं। अगर नहीं तो बता दे कि आज उनका जन्मदिन है। बृज लाल मुंजाल का जन्म अविभाजित भारत में साल 1923 में हुआ था। ऐसे में आइए हम आपको बृजमोहन लाल मुंजाल और हीरो मोटरकॉर्प की जर्नी के बारे में विस्तार से बताते हैं।
कैसे शुरू हुई हीरो मोटरसाइकिल कंपनी की जर्नी
हीरो मोटरसाइकिल की पहली शुरुआत हीरो साइकिल के तौर पर हुई थी। करीब 75 साल पहले बृजमोहन लाल मुंजाल ने अपने तीन भाइयों के साथ पाकिस्तान से भारत के अमृतसर आकर इसकी शुरुआत की थी। शुरुआत में यह कंपनी सिर्फ साइकिल स्पेयर पार्ट्स का कारोबार करती थी, लेकिन विभाजन के कारण हुए दंगों के चलते वह अपने परिवार के साथ लुधियाना शिफ्ट हो गए। यहां उन्होंने अपने भाई ओंकार मुंजाल के साथ मिलकर हीरो साइकिल की स्थापना की। इसके बाद उन्होंने पंजाब सरकार से साइकिल बनाने के लिए आधिकारिक तौर पर लाइसेंस भी मांगा और यहीं से उनके और हीरो कंपनी की जर्नी शुरू हुई, जिसमें उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
प्रेरणा से भरी है बृजमोहन लाल मुंजाल की सक्सेस स्टोरी
बृजलाल मुंजाल की साइकिल बनाने की कंपनी हीरो साइकिल ने कुछ ही सालों में ऐसी रफ्तार पकड़ ली कि देश के लगभग हर घर में यह साइकिल पहुंचाई जाने लगी। 1975 में हीरो सभी कंपनियों को पीछे छोड़ देश की सबसे ज्यादा साइकिल बेचने वाली कंपनी बन गई। इसके बाद साल 1986 में कंपनी ने दुनिया की सबसे अधिक साइकिल बनाने का गिनीज वर्ल्ड ऑफ रिकॉर्ड भी बनाया है।
इस शुरुआत के साथ हीरो मोटरसाइकिल की सफलता के साथ-साथ बृजलाल मुंजाल का नाम भी चौतरफा सुर्खियों में छाने लगा। कहा जाता है कि कंपनी की इस कामयाबी का सबसे बड़ा राज उनका व्यवहार था। वह अपने सभी डीलर और सप्लायर्स के नाम जाते थे और किसी का भी भुगतान कभी भी देरी से नहीं करते थे। उनका यही व्यवहार लोगों के बीच उनके पहली पसंद होने की सबसे बड़ी वजह था।
होंडा के साथ साझेदारी कर बढ़ाया दायरा
दो पहिया वाहन के तौर पर हीरो साइकिल की सफलता को देखते हुए उन्होंने तेजी से पेट्रोल वाहनों की तरफ बढ़ रहे लोगों के रुझान को भाप लिया था। उन्होंने भी लोगों की इस डिमांड को पूरा करने का फैसला कर लिया और एक दो पहिया वाहन कंपनी की स्थापना की, जिसका नाम हीरो मैजेस्टिक रखा गया। कंपनी उस समय मोपेड आदि बनाती थी, लेकिन साल 1984 में जापानी कंपनी होंडा मोटर्स के साथ उनकी साझेदारी हो गई और इसी के साथ मोटरसाइकिल की दुनिया में भी उनके कदम दौड़ पड़े।
साल 1985 में उनकी कंपनी ने पहली बाइक हीरो होंडा CD100 लॉन्च की, जिसकी सफलता ने चारों और डंका बजा दिया। फिर इसके बाद साल 1984 में उनकी हीरो होंडा स्प्लेंडर कंपनी आते ही लोगों के दिलों दिमाग पर छा गई। लगातार बढ़ते दायरे के साथ उन्होंने 26 साल तक हौंडा कंपनी के साथ पार्टनरशिप में काम किया, लेकिन इसके बाद उन्होंने अपनी खुद की एक अलग कंपनी शुरुआत करने का फैसला किया और यहीं से उदय हुआ हीरो मोटर कॉर्प का…
26 साल बाद होंडा से अलग हो गई थी हीरों कंपनी
हीरो कंपनी हौंडा के साथ 26 सालों की पार्टनरशिप को खत्म करने के बाद उन्होंने हीरो मोटरकॉर्प की नीव रखीं। फॉर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक बृजमोहन लाल मुंजाल यह नहीं चाहते थे कि दोनों कंपनियों के बीच की लंबी साझेदारी खत्म हो, लेकिन टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और अन्य उपकरणों के चलते इसे समाप्त करना पड़ा। इस समय मुंजाल करीबन 87 साल के थे और कंपनी की हर टॉप मैनेजमेंट की मीटिंग में शामिल हुआ करते थे।
इसके बाद उन्होंने कुछ समय हीरो मोटर कॉर्प को संभाला और साल 2015 में उन्होंने इसकी कमान अपने बेटे पवन मुंजाल को सौंप दी। 1 नवंबर 2015 को लंबी बीमारी से जूझते हुए 92 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया, लेकिन अपने पीछे वह हीरो मोटरकॉर्प को पीछे छोड़ गए है, जिसके साथ वह कई दशकों तक लोगों के जहन में जिंदा रहेंगे।
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