‘ज्ञानवापी मस्जिद नहीं असल में मंदिर है’, सीलबंद लिफाफे के सच का कुछ देर में SC करेगा खुलासा

ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद अब लगातार बढ़ता नजर आ रहा है। वहीं इस मामले पर आज एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है। गौरतलब है कि हिंदू पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया है। हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल जवाब में कहा गया है कि औरंगजेब आदि विश्वेश्वर के मंदिर के धार्मिक स्वरूप को नहीं बदल पाया है।

Gyanvapi Mosque Case

हिंदू पक्ष ने कोर्ट में दाखिल किया अपना जवाब

इतना ही नहीं इस मामले में हिंदू पक्ष द्वारा दाखिल किए गए जवाब में यह भी कहा गया कि ज्ञानवापी मस्जिद न होकर बल्कि असल में मंदिर है। यह संपत्ति हमेशा से आदि विश्वेश्वर की रही है और वही इसके मालिक है। हिंदू सदियों से यहां पर अपने धार्मिक परंपराओं को निभाते रहे हैं।

इस दौरान हिंदू पक्ष ने अपने जवाब में यह भी कहा कि- औरंगजेब ने आदि विश्वेश्वर के मंदिर के हिस्से को गिरा कर उसकी जगह ज्ञानवापी मस्जिद नाम की इमारत खड़ी कर दी है, लेकिन वह असल मायने में इसके धार्मिक स्वरूप को नहीं बदल पाया है क्योंकि श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश और बाकी देवताओं की मूर्ति यहां हमेशा से रही है।

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यह हरगिज मस्जिद नहीं है -हिंदू पक्षधारी

हिंदू पक्षियों के बयान के मुताबिक भारत में इस्लामिक शासन से हजारों साल पहले से आदि विश्वेश्वर की संपत्ति किसी को नहीं दी जा सकती। औरंगजेब ने शासक होने के चलते जबरन इस पर कब्जा किया। इससे मुसलमानों को संपत्ति पर हक नहीं मिल जाता। हिंदू सदियों से उसी स्थल पर अपनी नीतियों का पालन और परिक्रमा कर रहे हैं। औरंगजेब ने कोई वक्फ़ नहीं स्थापित किया था। यह विवादित जगह हरगिज मस्जिद नहीं है।

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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वाराणसी की ट्रायल कोर्ट में कहा था कि आज कोई आदेश ना दें। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ज्ञानवापी मस्जिद पर आज आगे सुनवाई करने का फैसला किया था। वाराणसी कोर्ट में ज्ञानवापी सर्वे की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में आज वाराणसी कोर्ट में पहुंच चुकी है और आज इस पर हिंदू पक्ष द्वारा दिए गए बयान और सीलबंद लिफाफे की रिपोर्ट के आधार पर आगे की सुनवाई होगी।

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