बिहार के इन 62 नये शहरों का होगा प्रोपर्टी सर्वे और GIS मैपिंग, एजेंसी की तालाश में विभाग

बिहार का नगर विकास एवं आवास विभाग जल्द ही राज्य के 62 नए शहरों की जीआईएस मैपिंग (GIS Mapping In Bihar) के साथ-साथ प्रॉपर्टी सर्वे (Property Survey In Bihar) का काम को शुरू कर देंगे। प्रॉपर्टी सर्वे की प्रक्रिया फिलहाल शुरू कर दी गई है। साथ ही इसके लिए विभाग की ओर से एजेंसी की तलाश भी की जा रही है। इच्छुक एजेंसियां 21 सितंबर को बिल से पहले विभाग में अपना प्रस्ताव डिटेल के साथ भेज सकती हैं। बता दें इससे पहले 8 सितंबर यानी गुरुवार को विभाग में प्रीपेड मीटिंग का आयोजन किया गया है।

11 समूहों में होगा मैपिंग का काम

विभाग के आला अधिकारियों द्वारा साझा की गई जानकारी के मुताबिक 62 शहरों की जीआईएस मैपिंग और प्रॉपर्टी सर्वे का काम 11 समूहों द्वारा किया जाएगा। इस दौरान हर समूह में 4 से 7 शहर रखे गए हैं। इच्छुक एजेंसियां सभी ग्रुप के लिए आवेदन कर सकेंगे। साथ ही बता दे कि एक एजेंसी अधिकतम 3 ग्रुपों का ही काम संभाल सकती है। याद दिला दे कुछ दिन पहले भी विभाग में 99 शहरों की जीआईएस मैपिंग और प्रॉपर्टी सर्वे के काम को लेकर एजेंसी का चयन करने के लिए टेंडर निकाला था।

GIS Mapping In Bihar

इन 11 ग्रुप में बांटे गये 62 शहर

  • ग्रुप-1 : कटोरिया, बौंसी, हरनौत, सरमेरा, रहुई, चंडी, अस्थावां
  • ग्रुप-2 : परवलपुर, गिरियक, एकगंरसराय, नालंदा, पावापुरी
  • ग्रुप-3 : पालीगंज, गढ़नी, चौसा, ब्रह्मपुर, इटाढ़ी
  • ग्रुप-4 : हाटा, कुदरा, रामगढ़, चेनारी, दिनारा, काराकाट, रोहतास
  • ग्रु-5 : मुरौल, सकरा, बरूराज, मीनापुर, तुर्की, कुढ़नी, सरैया, माधोपुर सुस्ता
  • ग्रुप-6 : लौरिया, मच्छरगांवा, जंदाहा, गोरौल, पातेपुर
  • ग्रुप-7 : तारापुर, संग्रामपुर, असरगंज, सूर्यगढ़ा, चेवारा, शेखोपुरसराय
  • ग्रुप-8 : अलौली, परबत्ता, मानसी, बेलदौर
  • ग्रुप-9 : वजीरगंज, फतेहपुर, डोभी, इमामगंज
  • ग्रुप-10 : खिजरसराय, बारूण, देव, रजौली, घोसी, काको, कुर्था
  • ग्रुप-11 : मशरख, मांझी, कोपा, हथुआ

डिजिटलाइजेशन के जरिए रखा जाएगा सारा अपडेटेड रिकॉर्ड

विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शहरों की जीआईएस मैपिंग होने के साथ ही राज्य की सभी संपत्तियों का लेखा-जोखा डिजिटल तरीके से अपग्रेडेड वर्जन में रखा जाएगा। इससे शहरी निकायों कोई रजिस्टर बनाने व उसे लागू करने में आसानी मिलेगी। जीआईएस मैपिंग होने से शहर के सभी घरों, प्लॉटों एवं मकानों की वास्तविक स्थिति और उस पर लगाये जाने वाले टैक्स की जानकारी भी मिल सकेगी।

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टैक्स चोरी के मामलों में आयेगी कमी

इसके साथ ही फर्जीवाड़े के मामलों में भी कमी आएगी। दरअसल डिसेंट्रलाइजेशन के बाद कोई भी व्यक्ति संपत्ति कर जमा करने में फर्जीवाड़ा नहीं कर सकेगा। इससे निकायों की आमदनी भी बढ़ेगी और लोग सही टैक्स राजस्व का भुगतान भी करेंगे।

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