पिछले 5-6 वर्षो मे बिहार मे कृषि के स्वरुप मे तेजी से बदलाव आया है। स्वास्थ्य के प्रति बढ़ते सतर्कता का ही परिणाम है कि जैविक खेती की ओर किसानों का रुझान तेजी से बढ़ रहा और आकड़े बताते हैं कि प्रत्येक साल यह बढ़ता ही जा रहा है। आकड़ो पर गौर करें तो यह वृद्धि करीब छह सौ फीसदी है। इसमें इस सरकारी योजना का भी अहम योगदान है ।
राज्य सरकार द्वारा जैविक खेती करने वाले किसानों को प्रति एकड़ 11,500 रुपये का अनुदान देने की योजना है। देखा जाय तो बिहार में जैविक खेती का चलन बहुत ज्यादा पुराना नहीं है। साल 2015 में किसानों ने अपने 247 एकड़ में जैविक खेती की थी। पांच सालो के अंदर ही यह बढ़कर 22 हजार 712 एकड़ हो गया। वर्ष 2019 में मात्र तीन हजार 515 एकड़ में जैविक खेती की गई थी। स्पष्ट है कि एक वर्ष के भीतर ही यह रकबा करीब छह गुना बढ़ गया।
किसानो को सी-1 सर्टिफिकेट दिया जा रहा
बिहार राज्य बीज एवं जैविक प्रमाणन एजेंसी द्वारा किसानों के खेतों का जैविक प्रमाणीकरण किया जाता है। पिछ्ले साल कुल 21,176 किसानों की 17867.37 एकड़ भूमि का जैविक खेती के लिए प्रमाणीकरण किया गया। वित्तीय वर्ष 2020-2021 में 184 किसान समूह के 21,130 किसानों को पहली बार प्रमाणीकरण का प्रमाण पत्र एजेंसी द्वारा प्रदान किया गया। राज्य मे जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए आधिकारियो ने लंबे समय तक इसके लिए कार्य किया है और लोगो को जागरूक किया है, जिसका परिणाम अब दिखने लगा है। भूमि संरक्षण के निदेशक बैंकटेश नारायण सिंह ने बताया कि जैविक कारीडोर के तहत 13 जिलों के किसानो को सी-1 सर्टिफिकेट दिया गया है। यह प्रमाणपत्र वैसे किसानों को दिया गया है जो दो वर्ष से जैविक खेती कर रहे हैं। वैसे किसान जो व्यक्तिगत रूप से जैविक खेती कर रहे हैं, उनकी संख्या 46 है, उन्हें भी सी-1 सर्टिफिकेट दिया गया है।
इन जिलो मे होता है जैविक खेती
सरकार ने जैविक कारीडोर का विस्तार किया है और इसमें गंगा किनारे के 12 जिलों के साथ ही 13वें जिले के रूप में नालंदा को शामिल कर लिया गया है। पटना, नालंदा, बक्सर, भोजपुर, वैशाली, सारण, समस्तीपुर, बेगूसराय, मुंगेर, लखीसराय, खगडिय़ा, कटिहार और भागलपुर जिलों में किसान समूह बनाकर जैविक खेती कर रहे हैं। उन सब को प्रति एकड़ 11 हजार 500 रुपये का अनुदान भी दिया जा रहा है।
राज्य सरकार ने बिहार राज्य जैविक मिशन का गठन किया है, जो किसानों को प्रशिक्षित करती है और प्रमाणीकरण का कार्य करती है। जैविक मिशन के तकनीकी विशेषज्ञ का काम किसानों को प्रशिक्षित करना है। बिहार में अब जैविक उत्पाद को सी-1 सर्टिफिकेट दिया जाने लगा है। बसोका एवं कुछ एफपीओ द्वारा उत्पादित सब्जियां बाजार में बेची भी जा रही हैं।
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