Fame 2 Subsidy Scheme Violation: इलेक्ट्रिक टू व्हीलर बनाने वाली इन तीन बड़ी कंपनियां को सरकार ब्लैक लिस्ट कर सकती है। इसकी तैयारी की जा रही है। इन तीन बड़ी कंपनियों में से हीरो इलेक्ट्रिक, ओकिनावा और बेनलिंग इंडिया का नाम शामिल है। इन तीनों कंपनियों को केंद्र सरकार की सभी योजनाओं से ब्लैक लिस्ट किया जा सकता है। यह तीनों कंपनियां सरकार की फेम-2 स्कीम में गलत तरीके सब्सिडी का लाभलेकर उसे वापस करने में असफल साबित रही ।अधिकारियों की तरफ से यह जानकारी साझा की गई है।
भारी उद्योग मंत्रालय के योजना के तहत पंजीकृत विभिन्न मूल उपकरण निर्माता से 2022 में इलेक्ट्रिक वाहनों को मे तेजी के लिए फेम- 2 के गाइडलाइंस में उल्लंघन की खबर मिली थी। ऐसे आरोप लगे थे कि कंपनियां स्थानीय स्तर पर सामान खरीदने के शर्त को उल्लंघन कर वाहनों के कल पुर्जे बड़े पैमाने पर आयात कर रही है।
इन 6 कंपनियो ने उठाया सब्सिडी का गलत फायदा (Fame 2 Subsidy Scheme Violation)
मंत्रालय ने इस कड़ी में 13 कंपनियों की जांच किया। जिसमे से 6 को फेम- 2 मांपडंडों को नहीं पालन करने में सही पाया। इन कंपनियों में से हीरो इलेक्ट्रिक, ओकिनावा ऑटोटेक, बेनलिंग इंडिया एनर्जी एंड टेक्नॉलजी, ग्रीव्स इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, एएमओ मोबिलिटी और और रिवॉल्ट मोटर्स का नाम शामिल है।
इन कंपनियों में एएमओ मोबिलिटी, ग्रीव्स इलेक्ट्रिक मोबिलिटी और रिवॉल्ट मोटर्स ने कुछ महीने में ही ब्याज समेत सब्सिडी की राशि सरकार को वापस कर दी। जिसके बाद इन कंपनियों को सरकार ने इन्हे आरोप से मुक्त कर दिया। परंतु अभी तक हीरो इलेक्ट्रिक, ओकिनावा ऑटोटेक, बेनलिंग इंडिया एनर्जी एंड टेक्नॉलजी ने इस राशि को वापस नहीं किया है, जिसके फल स्वरूप उन्हें फेम-2 योजना से हटा दिया गया है।
ये इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनियाँ हुई फेम- 2 से बाहर
एक बड़े समाचार पोर्टल के रिपोर्ट के मुताबिक हीरो इलेक्ट्रिक,ओकिनावा ऑटो टेक और बेनलिंग इंडिया को फेम- 2 योजना से हटा दिया गया है। अब इस कदम के बाद मंत्रालय का अगला कदम इन कंपनियों को सभी योजनाओं से वंचित करना है। बता दे कि यह कदम हीरो इलेक्ट्रिक और बेनलिंग इंडिया पर ही लिया गया है, अभी तक ओकीनावा का केस अदालत में है इसलिए इनके खिलाफ कदम नहीं उठाए गए हैं।
मंत्रालय का अगला कदम इन कंपनियों को सरकार के सभी तरह के योजनाओं से ब्लैक लिस्ट करने का है। ऐसे यह प्रक्रिया अभी तक नहीं हुई है क्योंकि यह एक विभिन्न चरणों वाली जटिल प्रक्रिया है। वित्त मंत्रालय किसी भी कंपनी को सरकार के सभी योजनाओं और नीतियों से वंचित करने की मंजूरी देता है।
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