तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद भी इन 6 मांगों पर अड़ें है किसान, जाने कौन सी है ये मांगें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी। लेकिन फिर भी किसान आंदोलनरत है। सभी ने यह सोचा था कि किसान आंदोलन समाप्‍त हो जाएंगे और दिल्‍ली की सीमाओं पर बैठे किसान अपने घर, खेत-खलिहान की तरफ वापस लौट जाएंगे, लेकिन ऐसा होता नज़र नहीं आ रहा। किसान अब अपने 6 सूत्रीय मांगों को लेकर अड़ गए हैं।

आन्दोलनरत किसानों के नेता द्वारा पीएम नरेंद्र मोदी को जारी संदेश में इन मांगों से अवगत कराया कराया है। किसानों का कहना है कि ‘हम भी चाहते हैं कि जल्द से जल्द इन बाकी मुद्दों का निपटारा कर हम अपने घर, परिवार और खेती बाड़ी में वापस लौटे। अगर सरकार भी यह चाहती है तो उपरोक्त छह मुद्दों पर अविलंब संयुक्त किसान मोर्चा के साथ वार्ता शुरू करे’..

ये है किसानों की 6 मांगें

संयुक्‍त किसान मोर्चा ने पीएम मोदी को संदेश दिया है कि ‘आप भली-भांति जानते हैं कि तीन कृषि कानूनों को रद्द करना इस आंदोलन की एकमात्र मांग नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से सरकार के साथ वार्ता की शुरुआत से ही तीन और मांगें उठाई गई थीं, जिनमें पहली खेती की संपूर्ण लागत पर आधारित (C2+50%) न्यूनतम समर्थन मूल्य को सभी कृषि उपज के ऊपर, सभी किसानों का कानूनी हक बना दिए जाने की थी, जिससे देश के प्रत्येक किसान को अपनी पूरी फसल पर कम से कम सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी हो सके।

किसानों की तरफ से किसानों के नेता द्वारा पीएम मोदी को याद दिलाया कि स्वयं उनकी अध्यक्षता में समिति बनाई गई थी, जिसकी तरफ से साल 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री को यह सिफारिश दी गई थी और सरकार द्वरा संसद में भी इस बारे में घोषणा की गई थी।

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विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक वापस लिया जाए

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार द्वारा प्रस्तावित “विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक, 2020/2021” का ड्राफ्ट वापस लिया जाए, इसके साथ ही उन्होने पीएम को उनका वादा याद दिलाते हुए यह भी कहा कि वार्ता के दौरान सरकार ने वादा किया था कि इसे वापस लिया जाएगा, लेकिन फिर वादे पर अमल ना करते हुए इसे संसद की कार्यसूची में शामिल किया गया था। किसानों ने अपनी अन्य मांग में कहा कि “राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे जुड़े क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अधिनियम, 2021” में किसानों को सजा देने के प्रावधान को खत्म किया जाए। किसानों को इस बात से नाराजगी है कि इस साल सरकार की तरफ से कुछ किसान विरोधी प्रावधान तो हटा दिए गए लेकिन सेक्शन 15 के द्वारा फिर से किसान को सजा की गुंजाइश बना दी गई है।

पिछले एक साल में किसान आंदोलनके दौरान उठे विभिन्न मुद्दों के निपटारे की भी किसानों द्वारा मांग की गई। किसानों ने सरकार से दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश और अनेक राज्यों में हजारों किसानों को इस आंदोलन के दौरान (जून 2020 से अब तक) हुए केसों को तत्काल वापस लेने की भी मांग की है। उन्‍होंने आगे कहा क‍ि, ‘लखीमपुर खीरी हत्याकांड के सूत्रधार और सेक्शन 120B के अभियुक्त अजय मिश्रा टेनी खुले घूम रहे हैं और आपके मंत्रिमंडल में मंत्री बने हुए हैं वह आपके और अन्य वरिष्ठ मंत्रियों के साथ मंच भी साझा कर रहे हैं. उन्हें बर्खास्त और गिरफ्तार किया जाए’।

किसानों की आखिरी मांग यह है कि किसान आंदोलन के दौरान तक ल 700 किसान शहादत दे चुके हैं, उनके परिवारों को मुआवजा दिया जाए और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। शहीद किसानों की स्मृति में एक शहीद स्मारक बनाने के लिए सिंघु बॉर्डर पर जमीन देने की भी मांग की गई।

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