DRDO का एंटी-ड्रोन सिस्टम अब ड्रोन हमलों से करेगा बचाव, भारतीय नौसेना का BEL से करार

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हुए अमेरिकी ड्रोन हमले के बाद से ही इस बात पर चर्चा की जा रही थी कि क्या भारत इस तरीके के हमले के लिए तैयार है? ऐसे में ड्रोन हमले से देश को बचाने के लिए भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (BEL) से एंटी ड्रोन सिस्टम के लिए करार किया है।

लेज़र तकनीक पर आधारित है ये एंटी ड्रोन सिस्टम

DRDO का एंटी-ड्रोन सिस्टम

आपको बता दें कि ये एंटी ड्रोन सिस्टम लेज़र तकनीक पर आधारित है। इसी तकनीक के आधार पर ये सिस्टम किसी भी देश के ड्रोन को जाम कर के उसे मार सकता है। रक्षा मंत्रालय ने इस बात को सुनिश्चित किया है कि यह सिस्टम पूरी तरह से स्वदेशी है। जल्द ही इस एंटी ड्रोन सिस्टम को सशस्त्र सेना के द्वारा उपयोग में लाया जाएगा।

‘सॉफ्ट-किल’ और ‘हार्ड-किल’ विकल्पों पर तैयार है ये सिस्टम

DRDO का एंटी-ड्रोन सिस्टम

रक्षा मंत्रालय ने ये जानकारी दी कि DRDO की ओर से एंटी ड्रोन सिस्टम को तैयार किया गया है। भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड इसकी मैन्युफैक्चरिंग कर रहा है। इस सिस्टम को ‘सॉफ्ट किल’ और ‘हार्ड किल’ ,दो विकल्पों में तैयार किया जाएगा।

मोबाइल वर्जन का होगा इस्तेमाल

DRDO का एंटी-ड्रोन सिस्टम

रक्षा मंत्रालय के द्वारा जारी बयान में ये कहा गया कि बीते मंगलवार को BEL,DRDO और भारतीय नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में एंटी ड्रोन सिस्टम को लेकर करार किया गया है। इस सिस्टम का मोबाइल वर्जन एक ट्रक में लगाया जाएगा। इस एंटी ड्रोन सिस्टम में मौजूद एन ए डी एस सिस्टम के द्वारा किसी भी छोटे से छोटे ड्रोन का पता लगाया जा सकता है। और उसे वहीं पर जाम किया जा सकता है।

क्या है एन ए डी एस सिस्टम?

DRDO का एंटी-ड्रोन सिस्टम

एन ए डी एस सिस्टम रडार, इलेक्ट्रो ऑप्टिकल,इन्फ्रारेड सेंसर और रेडियो फ्रीक्वेंसी की मदद से ड्रोन को डिटेक्ट कर उसे जाम कर सकता है।

Manish Kumar

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