Paush Mahina: सनातन धर्म में दसवें महीने को पौष का महीना कहा जाता है। इस महीने में सूर्य देव की उपासना को बहुत खास माना गया है और इसके साथ ही इस महीने में पितरों के पिंडदान भी किया जाता है। 27 दिसंबर से पौष का महीना शुरू हो रहा है और वैदिक पंचांग की बात करें तो इसका शुभारंभ मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा के अगले दिन से होता है। इस महीने में कुछ लोगों के लिए खुशखबरी सामने आ सकती है।
हम आपको इस खास महीने के महत्व और इससे जुड़ी कुछ बात बताने वाले है। पौष के महीने में आपको कुछ नियमों का पालन करना चाहिए क्योंकि इन नियमों का पालन करने से आपके घर में खुशियों का आगमन होगा। तो आईए जानते हैं इससे जुड़े विशेष बात……
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Paush Mahina :पौष महीना का क्या है महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पौष हिंदू पंचांग के दसवें महीने में होता है। इस महीने की शुरुआत में ठंड अपने चरम पर होता है और लोग धूप के लिए तरसते हैं। इस महीने में ही सूर्य देव की कीमत लोगों को पता चलती है और इसमें अगर आप रोजाना सूर्य को अर्ध्य देंगे और शांत रहकर उनकी उपासना करेंगे तो आपके घर में खुशियां आ जाएगी।
जानिए क्या है इस महीने से जुड़े नियम
धार्मिक विद्यालयों की माने तो इस महीने के शुरू होने के बाद हर रविवार को सूर्य देव को खिचड़ी या तिल का भोग लगाना चाहिए। कहा जाता है इस उपाय से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सारे दुख को दूर कर देते हैं। इस महीने में किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन या धन का दान करना चाहिए इससे देवी देवता और पितृ प्रसन्न होते हैं और परिवार पर कृपा बरसाते हैं।
यह उपाय करने से आपके कालसर्प दोष से मुक्ति मिलेगी और पितृ दोष से भी मुक्ति मिलेगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस महीने में लाल रंग का फूल और चंदन को जल में मिलाकर सूर्य देव को अर्थ देना चाहिए। ऐसा करने से पुरानी बीमारियों से निजात मिलेगा और परिवार में खुशी आएगी।
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