पिता की मौत के बाद बेटी को मिली अनुकंपा वाली नौकरी, अब मां को वेतन में हिस्सा देने से की इंकार

बिहार में एक दिल झकझोर देने वाली घटना सामने आई है। ख़बरों के मुताबिक , पिता की मौत के बाद बेटी को अनुकम्पा पर नौकरी मिलने के बाद बेटी ने अपनी माँ के जीविकोपार्जन के लिए वेतन में हिस्सेदारी देने से मना कर दिया। जिसके बाद माँ ने जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के यहाँ शिकायत दर्ज कराकर न्याय की मांग की.

लेकिन उचित न्याय नहीं मिल पाने के कारण बाद में असंतुष्ट मां ने मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटा दिया़। आयोग के सदस्य उज्ज्वल कुमार दुबे ने पेंशनधारी महिला को वेतन में हिस्सेदार तो नहीं बनाया, लेकिन बेटी द्वारा दिये जा रहे गुजारा भत्ते में 25 फीसदी का इजाफा करने का फैसला दिया है़।

दरअसल लघु सिंचाई प्रमंडल नवादा में कार्यरत गुड्डी कुमारी के खिलाफ उनकी मां भारती देवी ने मानवाधिकार आयोग में शिकायत की थी कि बेटी उनकी देखभाल नहीं कर रही है़। इस कारण भरण पोषण के लिये बेटी के वेतन का 25 फीसदी अंश दिलाया जाये़। इकलौती संतान गुड्डी की नौकरी अपने पिता की जगह मिली है़। मामले की सुनवाई कर रहे मानवाधिकार आयोग के सदस्य उज्ज्वल कुमार दुबे ने लघु जल संसाधन विभाग से रिपोर्ट मांगी़ है।

ये निकला हल

गौरतलब है कि विभाग गुड्डी कुमारी को पहले ही मां को साथ रखकर उसका भरण पोषण करने का निर्देश दे चुका था़, बेटी गुड्डी का कहना था कि मां उसके साथ रहने को तैयार नहीं है़। अधीक्षण अभियंता, लघु सिंचाई प्रमंडल, नवादा ने समझौता कराते हुए दो हजार रुपये प्रतिमाह देना निर्धारित कराया़ लेकिन भारती देवी इससे संतुष्ट नहीं हुई और उसने जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, नवादा के यहां वेतन में हिस्सा लेने को आवेदन किया, जहाँ भारती देवी का आवेदन इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि पुत्री द्वारा अपनी माता को विभाग के आदेश पर भरण- पोषण को दो हजार रुपये प्रतिमाह दिये जा रहे है़ं । इसके बाद भारती देवी देवी ने मानवाधिकार आयोग के यहां आवेदन दिया़। इस मामले में आयोग ने फैसला दिया कि बेटी हर माह की 10 तारीख से पहले मां के खाते में ढाई हजार रुपये भरण-पोषण को देगी़.

Manish Kumar

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