सलाम! दोनों टांगे गंवाने के बाद भी CRPF के जज्बे को सलाम, कहा- टेंशन नहीं

सीआरपीएफ के कोबरा बटालियन के एक बहादुर जांबाज जवान के जज्बे को इस समय पूरा देश सलाम कर रहा है। दरअसल बहादुर नौजवान अधिकारी सहायक कमांडेंट विभोर सिंह (Army Commander Vibhor Singh) ने एक नक्सल धमाके में गंभीर रूप से घायल होने के बाद अपनी दोनों टांगों (Army Commander Vibhor Singh Lost His Legs) को गवा दिया है। दोनों टांगों को गंवाने के बाद भी देश और देश के प्रति उनका जज्बा कम नहीं हुआ है। आज भी वह देश के प्रति अपनी जान न्यौछावर करने को तैयार है।

Army Commander Vibhor Singh

कमांडर विभोर सिंह के जज्बे को सलाम

विभोर सिंह ने 2 साल पहले ही सीआरपीएफ अकेडमी से पास आउट होने के बाद राजपत्रित अधिकारी का पदभार संभाला था। उन्होंने अपनी पोस्टिंग इस इलाके में कराने के लिए पहल की थी। वही हाल ही में धमाके में घायल होने के बाद जब उन्हें समय पर इलाज मुहैया नहीं कराया जा सका, तो डॉक्टर को मजबूरन उनकी टांगे काटनी पड़ी। भले ही शरीर का अंग उनसे अलग हो गया हो, लेकिन उनका जज्बा आज भी जस का तस बरकरार है।

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समय पर इलाज न मिलने के कारण गवाई टांगे

दरअसल 25 फरवरी 2022 को बिहार के गया में नक्सल हिंसा से प्रभावित एक धमाका हुआ, जिसमें विभोर सिंह के साथ हवलदार सुरेंद्र यादव भी बुरी तरह से घायल हो गए। इस इलाके के पिछड़ेपन के चलते दोनों को सही समय पर इलाज मुहैया नहीं जला कराया जा सका। दोनों को घायल अवस्था में पहले गया स्थित अनुग्रह नारायण मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज करने वाले डॉक्टरों ने उन्हें राजधानी दिल्ली जाने की सलाह दी। ऐसे में उनको दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स में लाया गया।

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इलाज के लिए गया से दिल्ली ट्रांसफर हुआ, लेकिन सहायक कमांडर विभोर सिंह की हालत और बिगड़ती चली गई। हालात यह हो गए कि उनके घुटने से नीचे तक के पैरों को काटना पड़ा। डॉक्टर के पास इसके अलावा उन्हें बचाने का कोई उपाय नहीं था। इस बहादुर जांबाज अधिकारी विभोर सिंह ने अस्पताल में रिकॉर्डेड अपने वीडियो में अपनी घटना का जिक्र करते हुए कई ऐसी बातें कहीं जिसने दिल को छू लिया।

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कमांडेड विभोर सिंह ने इस वीडियो की शुरुआत करते हुए कहा- टेंशन की कोई बात नहीं है, दोनों टांगे घुटने के नीचे से चली गई.. लेकिन जान बच गई और यह बहुत बड़ी बात है। वहीं विभोर सिंह को एअरलिफ्ट कर अस्पताल पहुंचाने में देरी का जिक्र करते हुए एक अधिकारी ने अपनी गलती मानी, लेकिन इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि यह सब मौसम की गड़बड़ी के चलते हुआ।

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