बिहार में एक ऐसा भी मुख्यमंत्री था जिनकी इमानदारी सादगी और राजनीतिक पवित्रता का उदाहरण आज भी दिया जाता है। कर्पूरी ठाकुर हमेशा अपनी सादगी सरलता के लिए याद रहेंगे। सिर्फ कर्पूरी ठाकुर ही नहीं उनके परिवार वाले भी सामान्य जीवन जीते थे उनके परिवार वाले को इस बात का गुमान नहीं था कि कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री हैं जहां आजकल कोई सरपंच विधायक बनने के बाद ही रौब दिखाने लगते हैं वही कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री बनने के बावजूद सामान्य जीवन जीते थे।
एक समय की बात है जब समस्तीपुर के डीएम निरीक्षण के लिए कर्पूरी ठाकुर के पैतृक गांव के समीप से गुजर रहे थे। तब उन्होंने एक महिला को देखा उन्होंने देखा कि खेत में बकरी के साथ एक महिला खड़ी है। उनके साथ चल रहे एक अधिकारी ने बताया कि जो महिला खेत में बकरी के साथ खड़ी है वह मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की धर्मपत्नी है। यह देखते हैं डीएमजी कृष्णन झल्ला गए उन्होंने कहा कि मैं इस क्षेत्र में नया आया हूं इसलिए तुम मुझे उल्टा-पुल्टा बता रहे हो तो अधिकारी ने कहा नहीं सर मैं बिल्कुल सही बोल रहा हूं। यह कर्पूरी ठाकुर की पत्नी है। डीएम ने गुस्से में कहा अगर तुम्हारी बात गलत निकली तो मैं तुम्हें निलंबित कर दूंगा तब डी एम कृष्णन ने खुद जाकर लोगों से पूछा तो यह बात सही निकली।
जहां जिसकी बात खत्म होती उसे वही उतार दिया जाता
कर्पूरी ठाकुर जब मुख्यमंत्री थे तो उनमें सबसे खास बात यह थी कि वह अन्य मंत्रियों की तरह बड़ा काफिला लेकर नहीं चलते थे। उनकी एक कार होती थी जिसमें वह खुद बैठते थे और एक सुरक्षाकर्मी की गाड़ी। वह जब भी घर से निकलते तो काम से आए लोगों को अपनी गाड़ी में बिठा लेते और उनसे गाड़ी में ही चर्चा करते जहां जिसकी बात खत्म होती उन्हें वही उतार देते।
बड़ी मुश्किल से घर पहुंचे अब्दुल बारी सिद्धकी
पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्धकी कर्पूरी ठाकुर के काफी करीबी बताए जाते हैं। उन्होंने इनके बारे में बताते हुए कहा कि एक बार कोई काम लेकर उनके पास पहुंचा घर से निकलने के समय उन्होंने अपनी गाड़ी के पीछे की सीट पर 4 लोगों को बिठा दिया आगे की सीट का सुरक्षाकर्मी भी पुलिस की गाड़ी पर चला गया। सब से बात करते गए जिसकी बात जहां खत्म होती उन्हें वही उतार दिया उन्होंने बताया कि मेरी बात डाक बंगला चौक के आगे एग्जीबिशन रोड से थोड़ा पहले खत्म हुई जैसे ही मेरी बात खत्म हुई उन्होंने मुझे वही उतार दिया। उस समय मोबाइल का जमाना नहीं था तो क्या करते बड़ी मुश्किल से घर पहुंचे।
आम कार्यकर्ता भी उनसे करता था बात
मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर उस समय बेली रोड और सर्कुलर रोड के मुहाने पर स्थित आवास में रहते थे। वह सुबह 4:00 बजे ही तैयार हो जाते और अपने आवास के Laun में टहलते। उसी दौरान वह लोगों से मिलते थे। उनकी सबसे खास बात यह थी कि आम कार्यकर्ता भी उनसे उसी आवाज में बात कर सकता था जिस आवाज में वह बात करते थे गुस्से में वह दांत कटकटाने लगते थे।
अब्दुल बार सिद्दीकी एक किस्सा शेयर करते हुए उन्होंने बताया कि एक बार और मैंने उनसे मिलने को समय मांगा। उन्होंने कहा कि रात 10:00 बजे आ जाइएगा मैंने सोचा कि मिलना नहीं चाह रहे इसलिए रात 10:00 बजे का समय दे रहे हैं। मैंने पूछा रात 10:00 बजे क्यों तब उन्होंने कहा कि मैंने अपने पशुपालन मंत्री रामचंद्र यादव को रात 11:00 बजे के समय दिया है। पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्धकी बताया कि कर्पूरी ठाकुर समय को लेकर इतना सख्त थे कि अगर कोई 5 मिनट लेट भी पहुंचा तो उसे टोक देते कि आप लेट हो गए।
रामनाथ अगर चुनाव लड़ेंगे तो मैं नहीं लडूंगा
जहां आजकल राजनीति में भर-भर के परिवाद चल रहा है। चाहे, वह कोई भी पार्टी हो अगर उनका पिता मंत्री बनता है तो जाहिर है कि उनका बेटा भी मंत्री ही बनेगा। लेकिन कर्पूरी ठाकुर राजनीति में परिवारवाद के खिलाफ थे बात तब की है जब कल्याणपुर के विधायक वशिष्ठ नारायण सिंह ने टिकट के लिए कहा। इस पर कर्पूरी ठाकुर ने कहा कि क्या बात कहते हैं रामनाथ को टिकट क्यों दें तब कल्याणपुर के विधायक वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा क्या कमी है लोहिया जी ने सदस्य बनाया इमरजेंसी में एक्टिव रहा सिर्फ इस बात को लेकर टिकट नहीं कि वह आपका बेटा है। कर्पूरी ठाकुर ने 2 मिनट आंख मूंद कर बैठे रहे फिर उन्होंने कहा ठीक है युवाओं को आगे आना चाहिए लेकिन अगर मैं चुनाव लड़ूंगा तो रामनाथ नहीं लड़ेगा।
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