बिहार के सियासी गलियारों में उस वक़्त हंगामा मच गया जब लोक जनशक्ति पार्टी में टूट की खबर सामने आई। हालांकि काफी विवादों के बाद अब लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने इसको लेकर अपनी चुप्पी तोड़ी है और विरोध का झंडा लिए अपने चाचा पशुपति पारस के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया है।
आपको बता दें कि चिराग पासवान जल्द ही पूरे बिहार में “आशीर्वाद-संघर्ष यात्रा” निकालने जा रहे है। वैसे तो चाचा और भतीजे के बीच होने वाली इस जंग का अंजाम तो आने वाले वक़्त में ही पता चलेगा मगर इस ऐलान ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के सियासी जंग की याद जरूर सबको दिला दी है। एक तरफ जहां चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति पारस के खिलाफ संघर्ष का बिगुल फूंक दिया है तो वही दूसरी तरफ उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ भी जमकर बयानबाजी की है और साथ ही अपने पिता रामविलास पासवान और नीतीश कुमार के बीच के एक राज से पर्दा भी उठाया है।
चिराग पासवान ने बताया कि उनके पिता यानी कि रामविलास पासवान के निधन के बाद उनके चाचा पशुपति पारस और भाई प्रिंस राज ने उनके साथ धोखा किया। चिराग ने इस जंग को सियासी के साथ कानूनी रूप से भी लड़ने की घोषणा की है। उन्होंने ये भी बताया कि कैसे साल 2014 में नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दावेदारी की बात पर एनडीए का साथ छोड़ दिया था और फिर साल 2017 में उसी एनडीए की टीम का रातोंरात हिस्सा बन गए थे। नीतीश कुमार के इस हरकत से रामविलास पासवान काफी परेशान हो गए थे और इसलिए उन्होंने साल 2019 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लोकसभा चुनाव में एलजेपी के छह प्रत्याशियों को हराने की कोशिश का आरोप लगाया था।
निकालेंगे ‘आशीर्वाद-संघर्ष यात्रा
लोजपा में हुए टूट के बाद बीते 20 जून को एलजेपी के अपने गुट की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के बाद चिराग ने अपनी माता रीना पासवान से आर्शीवाद लेकर अपने पिता रामविलास पासवान की जयंती यानी कि 5 जुलाई से अपने ‘आशीर्वाद-संघर्ष यात्रा’ को शुरू करने की घोषणा की थी। आपको बतादें की चिराग ने इस यात्रा की घोषणा बिहार में जनसमर्थन व पार्टी की मजबूती के लिए की है।
चिराग के इस कदम ने लोगों को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के “प्रजा संकल्प यात्रा” की याद दिला दी है। ऐसा इसलिए क्योंकि जगन मोहन रेड्डी और चिराग पासवान की कहानियां कई मामलों में काफी मेल खाती है। चिराग की तरह ही जगन मोहन का भी राजनीतिक करियर काफी उतार चढ़ाव भरा रहा है। राजनीति में एंट्री लेने के साल ही उनके पिता राजशेखर रेड्डी की मौत एक हेलीकाप्टर दुर्घटना में हो गई थी जिसके बाद ये कयास लगाया जा रहा था कि कांग्रेस जगन मोहन रेड्डी को अपने पिता की विरासत सौपेंगी मगर ऐसा नही हुआ जिसके बाद उन्होंने साल 2010 में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी का गठन किया था।
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