जय छठ मईया: नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ आस्था का महापर्व, तालाब में स्नान से दूर होते हैं सभी कुष्ठ रोग

लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा शुरुआत (Chhath Puja 2022) आज से हो गई है। आज नहाए खाए के साथ ही भगवान सूर्य की उपासना वाले 4 दिनों के इस महापर्व का शुभारंभ हो गया है। नालंदा (Nalanda) का बड़गांव स्थित सूर्य भगवान भास्कर (Nalanda Surya Bhaskar Mandir Nalanda) का मंदिर उनकी उपासना का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यहां चैत्र और कार्तिक महीने में छठ महापर्व (Chhath Puja Muhurat) में भारी संख्या में व्रती दर्शन करने और पूजा आरती करने आते हैं।

Chhath Puja 2022

शुरू हुआ छठ महापर्व

सूर्य पुराण में इस बात का जिक्र किया गया है कि युद्ध के लिए राजगीर आए भगवान कृष्ण ने भी बड़गांव में भगवान सूर्य की आराधना एवं पूजा अर्चना की थी। यह भी मान्यता है कि यहां स्थित सूर्य तालाब में स्नान करने से सभी कुष्ठ रोग दूर हो जाते हैं। बता दें बड़गांव सूर्य तालाब का निर्माण राजा शाम्ब ने कराया था। मान्यता है कि इस तालाब में स्नान करने के बाद सूर्य मंदिर में पूजा करने से कुष्ट रोग से पीड़ित लोग पूरी तरह से स्वस्थ हो जाते हैं।

छठ पूजा की शुभ मुहुर्त

आज से लोक आस्था के महापर्व चैती छठ की शुरुआत हो गई है। आज नहाय खाय के साथ पूजा का पहला दिन है। बता दें वैसे तो छठ साल में दो बार मनाई जाती है और कार्तिक मास में मनाई जानी वाली छठ का अधिक महत्व दिया जाता है, लेकिन साथ ही चैती छठ का महत्व पूर्वांचल के लोगों में भी कार्तिक छठ के समान ही होता है। मालूम हो कि चैत्य में होने के कारण ये चैती छठ के नाम से प्रसिद्ध है।

कैसे मनाया जाता है छठ पूजा महावर्प

आज चैती छठ पूजा का पहला दिन है, जिसकी शुरूआत आज नहाय खाय के हुई है। इसके बाद कल खरना का व्रत किया जाएगा। बता दे खरना व्रत के दिन संध्या काल के समय व्रती प्रसाद के रूप में गुड़ की खीर, रोटी और फल का सेवन कर अपना खरना व्रत पूरा करते हैं। इसके बाद अगले 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखते हैं। बता दें छठ पूजा में षष्ठी तिथि में उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और पर्व का समापन होता है।

Chhath Puja 2022

साथ ही ये भी मान्यता है कि इस तालाब के पानी से छठ व्रत करने वाले श्रद्धालु लोहंडा का प्रसाद भी बनाते हैं। साथ ही यहां मौजूद ग्रामीण भी इस तालाब के पानी से छठ का प्रसाद बनाते हैं और इसे ग्रहण करते हैं। मालूम हो कि यहां तालाब की खुदाई के दौरान भाग्वान विष्णु, सरस्वती, लक्ष्मी, आदित्य माता जिन्हें छठी मैया कहा जाता है, उनके साथ साथ भगवान सूर्य की प्रतिमा भी मिली थी। साथ ही नवग्रह देवताओं की भी मूर्तियां निकाली गई थी।

Chhath Puja 2022

सूर्य पुराण के मुताबिक राजा शाम्ब ने भगवान श्री कृष्ण की सलाह पर तालाब के पास भास्कर मंदिर की स्थापना की थी, जिसे बड़गांव का सूर्य मंदिर कहा जाता है। बता दे यह दुनिया के 12 अंकों में भी शामिल है। वैदिक काल से लेकर अब तक बड़गांव सूर्य उपासना के लिए वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध है। यही कारण है कि यहां छठ महापर्व पर श्रद्धालुओं की भारी संख्या में भीड़ उमड़ती है।

Kavita Tiwari