बिहार का वैज्ञानिक गोपाल अमेरिका तक लहराया परचम, आज दुनिया के टॉप-30 वैज्ञानिक मे शामिल

आज के दौर मे हर युवा का सपना होता है कि वह बड़े से बड़े संस्थान मे काम करें और मोटी कमाई करें। हर वैज्ञानिक का सपना होता है कि वह अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा में काम करें, लेकिन आज हम आपको बिहार के एक ऐसे लाल के बारे मे बताएँगे जो कई बार नासा से मिले ऑफर को ठुकरा चुके हैं। उन्होंने महज 20 साल की उम्र मे ही कई ऐसे अविष्कार किए हैं जिसे पूरी दुनिया मे सराहा जा रहा है। उन्हें राष्ट्रीय यंगेस्ट साइंटिस्ट के रूप मे जाना जाता है।

राष्ट्रीय यंगेस्ट साइंटिस्ट गोपाल का जन्म बिहार के भागलपुर् के धृबगंज गांव में एक किसान परिवार मे हुआ था। तब किसी ने भी नहीं जाना था कि आगे चलकर यह बालक अपनी प्रतिभा से अमेरिका का भी दिल जीत लेगा। ऐसा नहीं था कि गोपाल की जिंदगी मे परेशानियां नहीं आई, लेकिन उन्होंने हार नहीं माना। 2008 मे आए बाढ़ मे उनका सबकुछ तबाह हो गया।

गिनती दुनिया के टॉप 30 स्टार्टअप साइंटिस्ट मे

गोपाल ने साल 2014 मे दसवीं की परीक्षा दी। इसी साल उन्होंने बायो सेल की खोज की और जिसके लिए उन्हें इंस्पायर्ड अवार्ड से नवाजा गया है । साल 2017 मे वे पीएम मोदी से मिले। प्रधानमंत्री ने उन्हें एनआईएफ अहमदाबाद भेज दिया, जहां उन्होंने कुल 24 अविष्कार किया है। उनकी गिनती दुनिया के टॉप 30 स्टार्टअप साइंटिस्ट मे होती है।

उन्होंने कई महत्वपूर्ण अविष्कार किया है, जिसमें से एक है हाइड्रोइलेक्ट्रिक बायो सेल । इससे 50000 वोल्ट बिजली स्टोर किया जा सकता। उन्होंने पेपर बायो सेल का अविष्कार किया है जिसमें बेस्ट पेपर से बड़ी आराम से बिजली बनाना संभव है। उनका जी स्टार पाउडर का अविष्कार भी बेहद महत्वपूर्ण है क्यूँकि इसे लगाकर 5000 डिग्री सेल्सियस का टेंपरेचर गेन किया जा सकता है ।

whatsapp channel

google news

 
Also Read:  बिहार : इस दिन से खुल रहा नवादा का ककोलत जलप्रपात, गर्मी में लीजिये कूल-कूल ककोलत झरना का मज़ा

आज के समय मे प्लास्टिक एक गंभीर चिन्ता का विषय हो गई है, इसे ध्यान मे रखते हुए गोपाल ने बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक का आविष्कार किया है जिसे केले के थम्ब से बनाया गया है। इसका इस्तेमाल किये जाने पर यह खुद ब खुद खाद बन जाता है और खेतों मे बड़ी आसानी से इसका प्रयोग किया जा सकता है।

Share on