बिहार के कांटी और बरौनी थर्मल होंगे बंद, सरकार ने इस वजह से लिया है यह बड़ा फैसला

राज्य सरकार ने एक बड़ा नीतिगत फैसला लिया है, बाढ़ और नवीनगर जैसे मेगा थर्मल के निर्माण के बाद बिहार में चल रहे छोटे पावर स्टेशन को बंद करने का फैसला लिया गया है। सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले का सीधा प्रभाव मुजफ्फरपुर और बरौनी स्थित बिजली संयंत्र पर पड़ेगा। ये दोनों छोटे बिजली संयंत्र अब बंद कर दिए जाएंगे। सबसे पहले मुजफ्फरपुर में स्थित कांटी बिजलीघर बंद किया जा रहा है। एनटीपीसी की तरफ से जल्द ही 110 मेगावाट क्षमता की दो इकाई को बंद किया जाने वाला है। फिर बरौनी की 110 मेगावाट की दो पुरानी इकाई को बंद किया जाएगा।

इन ईकाइयों को बंद करने का मुख्य कारण उत्पादन लागत का अधिक होना बताया जा रहा है। पर्यावरण सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी इसे बंद करने का फैसला लिया गया है, क्योंकि यह 25 साल से अधिक पुराना हो चुका है। बता दे कि राज्य सरकार की तरफ से इन दोनों बिजली संयंत्रों की मरम्मत भी कराई गई थी। बिहार सरकार की तरफ से सालो से बंद इन दोनों इकाइयों की हिस्सेदारी केंद्रीय एजेंसी एनटीपीसी को सौंपने का फैसला लिया गया था। कांटी के बाद बरौनी में भी 110 मेगावाट की दो इकाई को मरम्मत कर चलाया जा रहा है।

बिजली कंपनी के जल्द बरौनी से भी बिजली लेने के करार को रद्द करेगी । बता दें कि 581.20 करोड़ की लागत से बरौनी में स्थित 110 मेगावाट की दो इकाइयों का आधुनिकीकरण किया गया था। 2015 के बाद से यहां से बिजली उत्पादन शुरू किया गया था। यह यूनिट भी एनटीपीसी के अधिकार में है।

जॉर्ज फर्नांडिस के प्रयास से बना था कांटी बिजलीघर

मुजफ्फरपुर में स्थित कांटी बिजलीघर का निर्माण उस समय के तत्कालीन सांसद जॉर्ज फर्नांडिस के पहल से हो सका था। वहाँ 50 मेगावाट की दो इकाई स्थापित की गयी थी, लेकिन निर्माण कार्य पूरा होने के बाद कभी भी इसका सही से संचालन नहीं हो सका तथा एक तरह से उत्पादन ठप ही रहा। 2002-03 में यहां बिजली उत्पादन का कार्य पूरी तरह से बंद हो गया, तब 2005-06 में सत्ता मे आने की बाद नीतीश सरकार ने 472.80 करोड़ की लागत से कांटी थर्मल पावर का मरम्मत कराया। कार्य पूरा होने के बाद नवंबर 2013 में कांटी की पहली यूनिट शुरू हुई। फिर 2014 मे दूसरी यूनिट से उत्पादन शुरू हुआ था।

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