बिहार (Bihar) में इन दिनों शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) का मुद्दा सरकार से लेकर पुलिस प्रशासन तक के लिए चुनौती बना हुआ है। शराबबंदी कानून को लागू करने में बिहार के बड़े-बड़े आईएएस और आईपीएस अफसर अलग-अलग जुगाड़ बिठाने में जुटे हुए हैं। ऐसे में बिहार का एक ऐसा गांव है, जहां बीते 400 सालों से गांव के लोगों ने स्वत: ही शराब बंदी (Liquor Ban from 400 Year) लागू कर रखी है। बिहार का यह गांव जमुई जिले (Jammui) के अंतर्गत आता है। इस गांव में धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यता के अनुसार 4 शताब्दियों से शराब बंदी लागू है। यहां शराब का सेवन कर गांव में आने वाले हर शख्स को साफ तौर पर मनाही है।
गांव में 400 सालों से लागू है शराबबंदी
जानकारी के मुताबिक इस गांव के लोग अपने कुलदेवता बाबा कोकिलचंद की पूजा करते हैं। अपनी धार्मिक मान्यता को लेकर यहां के लोगों का कहना है कि 400 सालों से अधिक समय से इस गांव में शराबबंदी स्वत: लागू है। इस गांव में ना तो शराब लाई जाती है और ना ही कोई शराब का सेवन करके गांव में आ सकता है। लोगों का कहना है कि इस गांव में जब भी कोई शराब का सेवन करके आता है, तो उसे खुद-ब-खुद किसी न किसी नुकसान का सामना करना पड़ता है।
मालूम हो कि जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर जमुई झाझा सड़क मार्ग के दाएं और बसें गांगरा गांव की आबादी करीबन 4000 लोगों की है। इस गांव के लोगों पर पूरे प्रदेश को गर्व होता है। प्रदेश में शराबबंदी 2016 में लागू हुई थी, लेकिन इस गांव में स्वत: ही सैकड़ों साल पहले ही शराबबंदी को लागू कर दिया गया था। इतना ही नहीं इस गांव में सभी तरह के नशा से मुक्ति के लिए शपथ लेने वाले गांव के रामाशीष सिंह और रामाकांत सिंह का कहना है कि वह लोग शराब को तो छूते नहीं, लेकिन साथ ही दूसरे नशीले पदार्थों से भी लोगों को दूर रहने के लिए शपथ दिलाते हैं।
यहां के लोगों का कहना है कि वह बिहार के सीएम नीतीश कुमार के नशा मुक्ति अभियान का समर्थन करते हैं और वह भी चाहते हैं कि गांव की अगली पीढ़ी भी इस परंपरा को निभाते हुए गांव समाज को नशा मुक्त रखें और विकास की ओर आगे बढ़ें।