बिहार का स्वास्थ विभाग इन दिनों व्यवस्था को चाक-चौबंद करने में जुटा हुआ है। अब नई खबर आई है कि सरकारी हॉस्पिटल में उपचार के लिए आने वाले रोगी और उनके परिवार वालों को उपचार पर कम से कम खर्च हो इसकी व्यवस्था में स्वास्थ्य विभाग जुट गया है। बिहार स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव प्रत्यय अमृत के नेतृत्व में शुक्रवार को उच्च स्तरीय बैठक हुई।
स्वास्थ्य विभाग की उच्च स्तरीय बैठक में हुआ मंथन
इस बैठक में अफसरों के बीच इस मसले पर मंथन हुआ। बैठक में इस बिंदु पर बात बनी कि रोगी को उपचार के दौरान जिस कोस में सबसे ज्यादा खर्च करना पड़ता है उन सेवाओं को संस्था किया जाए या अस्पताल में फ्री कर दी जाएं। ऐसी सेवाओं को बाकायदा लिस्ट तैयार करने को कहा गया।
इसी कड़ी में बैठक में मौजूद अफसरों को बताया गया कि हॉस्पिटलों में वर्तमान में मरीजों और उनके स्वजनों की सुविधा के लिए कई सुविधाएं फ्री में दी जा रही हैं। बैठक में जानकारी दी गई कि जिन एंबुलेंस से रोगियों को हॉस्पिटल में एडमिट किया जाता है उन्हें कई इलाकों के लिए फ्री किया गया है। इसी तरह ब्लॉक लेवल पर प्राथमिक स्वास्थ्य सेंटरों में अत्याधुनिक पैथोलाजी और रेडियोलाजी जांच की सुविधा उपलब्ध है, इनमें मुफ्त में कई सेवाएं की गई हैं। जीवन रक्षक दवाएं अस्पताल की ओपीडी मरीजों को निशुल्क दिया जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को प्रत्यय अमृत ने बताया कि राज्य को 15 वें वित्त आयोग से 500 करोड़ रुपए की राशि मिली है। जांच संयंत्रों की खरीद के लिए राशि का इस्तेमाल किया जा रहा है। खराब हो चुकी एंबुलेंस के जगह पर 1000 नई एंबुलेंस खरीदने को लेकर कवायद तेज है। एक हजार एंबुलेंस खरीदे जाने के बाद प्रदेश के मरीजों को काफी सुविधा मिलेगा। लिस्ट में शामिल की जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं को मुफ्त करने या दर कम करने पर निर्णय लिया जाएगा।
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