बिहार में 4 साल की हुई ग्रेजुएशन की डिग्री, इंटर्नशिप करना होगा अनिवार्य, जाने फायदा या नुकसान?

4 Years Graduation Degree In Bihar: नए साल के साथ बिहार में कुछ नए बदलाव नजर आने वाले हैं। खास तौर पर यह बदलाव एजुकेशन सिस्टम में नजर आएंगे। दरअसल सरकार राज्य के छात्र छात्राओं को किताबी ज्ञान के साथ-साथ अब अनुभव और सीखने का मौका भी दे रही है, जिसके मद्देनजर अब अंडर ग्रेजुएशन में सर्टिफिकेट हासिल करने के लिए समर्थन के दौरान 4 क्रेडिट वर्क यानी लर्निंग आधारित इंटरशिप की प्रक्रिया से गुजरना जरूरी होगा। 2 सेमिस्टर के बाद स्टूडेंट को इंटर्नशिप करने का मौका दिया जाएगा। यूजीसी ने यह बदलाव नई शिक्षा नीति के मद्देनजर किया है। यूजीसी ने चार अंडर ग्रेजुएशन प्रोग्राम का एक नया ड्राफ्ट तैयार किया है, जिसे नए साल के साथ लागू किया जाएगा।

4 साल की हो जायेगा ग्रेजुएशन प्रोग्राम

नई शिक्षा नीति के तहत साल 2023 से होने वाले अंडर ग्रेजुएशन प्रोग्राम के बदलाव को सभी यूनिवर्सिटी व राज्य सरकारों को भेज दिया गया है। नए नियमों के ड्राफ्ट के मुताबिक ग्रेजुएशन कोर्स में अब इंटर्नशिप करना अनिवार्यता की श्रेणी में रखा गया है। इसके बाद ही छात्र या छात्रा अपना ग्रेजुएशन सर्टिफिकेट हासिल कर सकते हैं। इसी के साथ अब अंडर ग्रेजुएशन की पढ़ाई 4 साल की हो जायेगी।

ग्रेजुएशन के दौरान लर्निंग ट्रेंनिंग लेना जरूरी

यूजीसी के अध्यक्ष प्रोफेसर एम जगदीश कुमार द्वारा नई शिक्षा नीति से जुड़े इस बदलाव को साझा करते हुए बताया गया है कि स्टूडेंट को हर तरफ से तैयार किया जाएगा। पढ़ाई के साथ-साथ सभी स्टूडेंट को काम करने की दक्षता और बाजार के उतार-चढ़ाव से भी अवगत कराया जाएगा। ग्रेजुएशन में पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राएं अपने या अन्य संस्थान में किसी भी फर्म, संगठन, उद्योग या प्रयोगशाला में शोधकर्ताओं के साथ प्रशिक्षण, इंटर्नशिप, अप्रेंटिसशिप आदि कर सकते हैं। ये एक्सपीरियंस उन्हें ग्रेजुएशन के बाद भी मांसिक और आर्थिक तौर पर काफी काम आएगा।

समर वेकेशन के दौरान करनी होगी इंटर्नशिप

बात अब इंटर्नशिप प्रोग्राम की करें तो बता दें कि समर यानी गर्मी के मौसम के दौरान उच्च शिक्षण संस्थानों द्वारा स्थानीय उद्योग, व्यापार, संगठनों, स्थानीय सरकारे संसद या निर्वाचित प्रतिनिधि, शिल्पकार, कलाकार, मीडिया संगठन सहित कई अन्य कोर्सों से संबंधित संगठनों के साथ इंटर्नशिप करने का मौका छात्र-छात्राओं को मिलेगा, ताकि वह अपने रुचि से संबंधित विषय के बारे में जान सकें। बता दे नई शिक्षा नीति के तहत किए जाने वाले इस बदलाव के साथ छात्रों को न सिर्फ जमीनी स्तर पर आर्थिक व सामाजिक मुद्दों का ज्ञान मिलेगा, बल्कि इससे रोजगार की क्षमता में भी सुधार आएगा।

रिसर्च प्रोजेक्ट की होगी शुरुआत

इस दौरान प्रोफेसर द्वारा साझा जानकारी में यह भी बताया गया कि यूजीसी के नए नियमों के तहत छात्र-छात्राओं को 3 के बजाय 4 साल की ग्रेजुएशन डिग्री हासिल होगी। अगर कोई छात्र रिसर्च स्पेशलाइजेशन करना चाहता है, तो वह है उन्हें अपने 4 साल के कोर्स में एक रिसर्च प्रोजेक्ट शुरू कर सकता है। इससे उन्हें रिसर्च स्पेशलाइजेशन के लिए ऑनर्स की डिग्री भी दी जाएगी। बता दें कि मौजूदा नियमों के मुताबिक 3 साल की अंडर ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने पर अभ्यार्थियों को ऑनर्स की डिग्री दी जाती है।

Kavita Tiwari