मठ-मंदिरों की जमीन पर राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड का होगा अधिकार, डीएम होंगे अध्यक्ष, बेची जमीन ली जाएगी वापस

बिहार सरकार (Bihar Government) ने एक बड़ा फैसला किया है, जिसके मद्देनजर निबंधित मंदिरों मठों के अलावा गैर निबंधित धार्मिक संस्थानों की संपत्ति का भी प्रबंधन किया जाएगा। सरकार (Bihar Government) के इस फैसले के मद्देनजर ये धार्मिक संस्थान अब सीधे तौर पर बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अधीन होंगे, जिनका निबंधन अब तक किसी कारणवश नहीं किया गया है। इस दौरान राज्य सरकार (CM Nitish Kumar Government) द्वारा जिले से निबंधित मंदिरों और मठों की सूची भी मांगी गई है।

 

मंदिर और मठ पर सरकार का बड़ा फैसला

गौरतलब है कि बिहार के 26 जिलों में लगभग 2000 मंदिर और ऐसे मठ है, जो अभी भी पंजीकृत नहीं किए गए हैं। बिहार के विधि मंत्री प्रमोद कुमार के मुताबिक गैर पंजीकृत मंदिरों और मठों के प्रबंधन और निगरानी के मकसद से प्रखंड से लेकर जिलों तक अलग-अलग व्यवस्था भी सुनिश्चित की जा सकती है। मालूम हो कि राज्य के प्रत्येक जिले में डीएम स्तर के नोडल पदाधिकारी इस मामले पर तैनात किए जाएंगे। साथ ही सभी मंदिरों में सामाजिक लोगों की सहमति से अध्यक्ष और सचिव का चयन भी किया जाएगा।

 

जमीन के कब्जे को लेकर उठा मुद्दा

मालूम हो कि बड़े मंदिरों की प्रबंध समिति में जिले के डीएम अध्यक्ष या सचिव किसी एक पद पर जरूर नियुक्त रहेंगे। साथ ही प्रखंड और सब डिवीजन में बीडीओ और सीओ स्तर पर अधिकारियों को इस मामले में जिम्मेदारी सौंपने की रणनीति भी सरकार की ओर से बनाई जा रही है। इस मुद्दे पर विधि मंत्री प्रमोद कुमार का कहना है कि सरकार को यह फैसला इसलिए लेना पड़ रहा है क्योंकि बड़े स्तर पर मंदिरों और मठों की हजारों एकड़ जमीन अनाधिकृत तौर से कब्जें की शिकायत दर्ज कराई जा रही है, इतना ही नहीं कई मामलों में तो सेवादार ही मंदिर और मठों की जमीन को बेच रही है, जोकि नियम के विरुद्ध है।

इतना ही नहीं ये लोग अपने करीबियों के नाम पर लीज पर उनकी जमीन कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक मंदिर और मठों की जमीन नियमानुसार 3 साल से ज्यादा लीज पर नहीं दी जा सकती, लेकिन सरकार को इस तरह की सूचना मिल रही है कि यह 50 से 100 साल के लिए लीज पर जमीन दे रहे हैं, जो कि पूरे तरीके से नियम का उल्लंघन है।

 

अब सख्त कानून लायेगी बिहार सरकार

बिहार हिंदू धार्मिक न्यास अधिनियम 1950 के अंतर्गत राज्य के सभी सार्वजनिक मंदिरों का निबंधन अनिवार्य कर दिया गया है, लेकिन इसके बावजूद अभी भी सैकड़ों धार्मिक संस्थान बगैर निबंधन के संचालित किए जा रहे हैं। ऐसे संस्थानों की करोड़ों की संपत्ति में बड़ी संख्या में बढ़ोतरी की गई है। साथ ही बड़े पैमाने पर अनियमितता भी बढ़ती जा रही है, जिसे लेकर अब सरकार ने राजस्व रिकॉर्ड के लिए ऐसे संस्थानों को न सिर्फ तलब किया है, बल्कि कानून की देखरेख में नए नियम और कानून भी बनाने का फैसला किया है। सरकार ऐसी जमीनों की जांच पड़ताल व संपत्ति की सुरक्षा व देखरेख के लिए नए कानून बनाने का संकल्प कर रही है।

Kavita Tiwari