Bihar Gau Palan Yojana 2024: अगर कम पैसे में कोई बिजनेस शुरू करने की सोच रहे तो यह आपके लिए बहुत अच्छी खबर हो सकती है, आप मात्र 15 से 30 डिसमिल की जमीन पर गौ-पालन करने का बिजनेस शुरू कर सकते हैं। सबसे अच्छी बात इसमें यह है कि इसके लिए बिहार सरकार 50% से लेकर 75% तक अनुदान भी देती है। कोई भी बिहार का नागरिक समग्र गव्य विकास योजना के तहत 2-4 या 15 और 20 उन्नत नस्ल की दुधारू मवेशी के पालन के लिए सरकार से अनुदान ले सकता है। बिहार सरकार के द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 में 4848.248 लाख रुपए इसके लिए आवंटित किए गए हैं।
जो भी व्यक्ति इस योजना का लाभ लेना चाहता है वह 15 अगस्त से इसके लिए आवेदन कर सकता है। इस योजना के लिए आवेदन इस साल 15 अगस्त से शुरू हो रहा है। आवेदन किए गए लोगों मे से लाभ पाने वालों का चयन ‘पहले आओ और पहले पाओ’ के तौर पर किया जाएगा। इस योजना के तहत पूरे बिहार में 3583 इकाई लगाई जाएगी यानी कि इस वर्ष इस योजना के तहत 3583 लोगों को लाभ मिलेगा। पिछले वित्तीय वर्ष मे इस योजना के तहत 3355 लोगों को इसका लाभ मिला था।
कैसे करें आवेदन (Bihar Gau Palan Yojana)
इस योजना के आवेदन के लिए आपको गव्य विकास निदेशालय की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। जो 15 अगस्त से शुरू होने जा रहा है। वैसे आवेदक जिन्हें पिछले 3 वर्षों से इस योजना का लाभ नहीं मिल सका है वैसेआवेदकों को प्राथमिकता के तौर पर इस वर्ष योजना का लाभ मिल सकेगा। इस योजना में आवेदक की आयु 55 वर्ष से अधिक नहीं रहनी चाहिए।
बता दें कि इस योजना के तहत उन्नत नस्ल की दुधारू मवेशी के लिए इकाई की स्थापना के लिए कम से कम 15 डिसमिल जमीन होनी जरूरी है। वही 15 और 20 उन्नत नस्ल की दुधारू मवेशी के इकाई की स्थापना के लिए कम से कम 30 डिसमिल जमीन का होना आवश्यक है। यह जमीन लीज पर भी आवेदक ले सकते हैं।
कितनी आती ही लागत
दो दुधारू मवेशी की इकाई की लागत 1 लाख 74 हजार रुपए है। चार दुधारू मवेशी की इकाई लागत की बात करें तो यह लागत 3 लाख 90 हजार रुपए है, वहीं 15 दुधारू मवेशी की इकाई की लागत 15 लाख 34 हजार और 20 दुधारू मवेशी इकाई की लागत 20 लाख 22 हजार रुपए है।
सब्सिडी की रकम
सरकार से दी जाने वाली सब्सिडी की बात करें तो सामान्य वर्ग को इसमें 50% की सब्सिडी दी जाती है, वहीं अत्यंत पिछड़ा, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोगों को यह सब्सिडी 75% तक दी जाती है। इकाई बनाने के लिए सामान्य वर्ग को कुल लागत का 10% तथा अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को कुल लागत का 5% राशि देना पड़ता है।
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बता दे कि बिहार में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के साथ-साथ रोजगार के अवसर के लिए पशु-पालन विभाग की तरफ से समग्र गव्य विकास योजना का संचालन किया जा रहा है। इस योजना से पूरे प्रदेश में दुधारी पशुओं की संख्या में वृद्धि होगी। साथ ही साथ बिहार के लोगों की आमदनी भी बढ़ेगी। इतना ही नहीं प्रदेश को लोगों को दूध उत्पादन करने पर पौष्टिक आहार की उपलब्धता भी सुनिश्चित हो सकेगी।
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