बिहार के किसानों की बढ़ेगी आमदनी, बगीचों में होगी मसाले की खेती, इन जिलों का हुआ चयन

बिहार (Bihar) के बगीचों में अब मसाला के साथ ही कुछ ऐसे फसलों की खेती की जाएगी, जहां धूप की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती है। इसी साल इस्तेमाल के तौर पर मसाला की खेती शुरू होगी। इसके लिए हल्दी, ओल और अदरक का चयन किया गया है। फिलहाल प्रदेश के 12 जिलों के बगीचे में इसकी खेती शुरू होगी। किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी (Bihar farmers income will increase) करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार इन दिनों कुछ नए तरीके आजमाने की कवायद में जुटी है। मालूम हो कि बगीचों में पेड़ लग जाने के बाद खाली पड़े भूखंड का इस्तेमाल मसालों की खेती के लिए किया जाएगा। किसान बगीचा का फल बेचने के साथ ही मसालों का कारोबार कर सकेंगे।

Farmers cultivating spices in the orchards of Bihar

अब बढ़ेगी किसानों की आमदनी

सरकार किसानों को बगीचे में मसाला की खेती करने के लिए तकनीकी मदद करेगी। इसके साथ ही खाद और बीज की कीमत का आधा पैसा सरकार ही देगी। किसानों को इंटीग्रेटेड फार्मिंग योजना के तहत इस योजना का लाभ समझाया जायेगा। प्रदेश के किसान साल भर में औसतन दो फसल की खेती करते हैं। सरकार ने प्रत्येक किसान को तीन फसलें उगाने के प्लान पर काम करने की सलाह दी है।

इसी प्रयास की एक कड़ी समेकित कृषि योजना है, जिसमें लीची और आम के बगीचों में 40 फीसद जमीन पर पेड़ लगे होते है, जबकि 60 प्रतिशत जमीन खाली रहती है। ऐसे में जमीन पर पड़ने वाली धूप काफी कम होती है। इसी के तहत हल्दी, अदरक और ओल का चयन इस खाली पड़े एरिया में लगाने का प्लान किया गया है।‌ प्रयोग सफल रहता है तो वैज्ञानिकों के सलाह पर कुछ और फसलें योजना में जोड़ी जा सकती है।

Farmers cultivating spices in the orchards of Bihar

इस योजना के लिए प्रदेश के जिन जिलों का चयन हुआ है उनमें मुजफ्फरपुर, वैशाली, पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, दरभंगा, सहरसा, भागलपुर, खगड़िया और बेगूसराय शामिल हैं। फिलहाल प्रदेश में आम का बागीचा 1.57 लाख हेक्टेयर में है। लीची की खेती 33 हजार 269 हेक्टेयर में जबकि अमरूद की खेती 27 हजार 613 हेक्टेयर में होती है।‌ उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार के इस पहल से किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी।