बिहार के सरकारी कर्मचारियों के बच्चे सरकारी स्कूल में ही पढ़ेंगें, शिक्षा मंत्री ने दिया इस पर बड़ा बयान

बिहार (Bihar) के सरकारी स्कूलों (Government School) में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए पहले भी लगातार कई अलग-अलग तरह की मांग उठती रही है। ऐसे में बीते कुछ दिनों से पटना हाई कोर्ट में बिहार सरकार (Bihar Government) से इस मामले में एक रिपोर्ट मांगी थी, जिसमें इस बात का जवाब मांगा गया था कि कितने अफसरों के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। वहीं इन मुद्दे के उठने के बाद शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी (Bihar Education Minister vijay chaudhri) ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों (Bihar Government Employee) और सरकारी अधिकारियों के बच्चों को सरकार की ओर से संचालित स्कूलों (Bihar Government School) में पढ़ना है या नहीं ये उनका अपना फैसला होना चाहिए।

शिक्षा मंत्री ने साफ किया सरकार का रूख

सोमवार को इस मामले पर जब सवाल उठा तो राज्य के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने विधानसभा में आए एक ध्यानाकर्षण के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि अपने बच्चे को कोई व्यक्ति कहां पढ़ाये इसे लेकर कोई बाध्यता नहीं है। राज्य संचालित शैक्षणिक संस्थानों में लोगों की रुचि बढ़ी है ।शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि राज्य संचालित शैक्षणिक संस्थानों में आम लोगों का विश्वास सरकार पर बरकरार है।

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सरकारी स्कूलों में बढ़ रही है छात्रों की संख्या

मैट्रिक और इंटर परीक्षा की संख्या लगातार बढ़ रही है। साल 2005 में यह संख्या 5.7 लाख, 335 विद्यार्थी वार्षिक माध्यमिक शिक्षा में शामिल हुए हैं। वहीं अब साल 2022 में यह संख्या बढ़कर 16.43, 647 हो गई है। ऐसे में अपने बच्चे को कौन कहां पढ़ाता है, इसके लिए कोई बाध्यता नहीं है। बिहार विधानसभा में शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा सरकारी कर्मियों को अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।

उन्होंने आगे कहा कि सरकारी स्कूल में कितने बच्चे पढ़ रहे हैं, यह मायने रखता है। यह हरगिज मायने नहीं रखता कि किस के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ रहे हैं। सरकार के सामने गरीब के बच्चे को पढ़ाने की प्राथमिकता सर्वोपरि है। साधन संपन्न लोगों के बच्चे तो कहीं भी पढ़ सकते हैं। बता दे इस दौरान ललन कुमार ने इस मसले पर ध्यानाकर्षण के माध्यम से सवाल उठाया था कि सरकारी वेतन भोगी अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाये इसके लिए कानूनी रूप से उन्हें इस पर कुछ कानून बनाना चाहिए।

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