बिहार: चुनाव आयोग की नजर में अभी भी लोजपा पर चिराग पासवान का है अधिकार!

लोजपा पार्टी मे आंतरिक घमासान मचा हुआ है, सियासत की यह जंग अब खुलकर बाहर सामने आ चुकी है। लोजपा पार्टी आखिर अब किसकी है, इस पर एक बड़ा विवाद बना हुआ है क्योंकि स्व रामविलास पासवान के भाई और चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस ने चिराग को छोड़कर पार्टी के सभी सांसदों को अपनी तरफ कर लिया है। सांसद पशुपति पारस ने खुद को संसदीय दल का नेता घोषित कर दिया है। इतना ही नहीं, पशुपति पारस ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन करके खुद को पार्टी का अध्यक्ष भी घोषित कर दिया है। लेकिन चिराग ने उनकी गतिविधियों को पार्टी विरोधी बताकर उनके दावे को खरिज किया है और पार्टी के संविधान के अनुसार खुद को वैधानिक रूप से पार्टी का अध्यक्ष बता रहे हैं।

पारस गुट से नहीं किया गया है कोई दावा

अब इसपर चुनाव आयोग के सूत्रों से जो जानकारी निकलकर सामने आई है, उसके मुताबिक लोजपा अभी भी चिराग की है। आयोग के मुताबिक पारस या उनके समर्थको की ओर से लोक जनशक्ति पार्टी पर या पार्टी के चुनाव चिन्ह् बंगला पर किसी प्रकार का कोई दावा नहीं किया गाया है। ऐसे मे दूसरे समूह के किसी प्रकार के दावे के बगैर चुनाव आयोग पार्टी पर उसका अधिकार नहीं मान सकता।

इतना जरूर है कि पारस और उनके समर्थको की तरफ से जो फैसले किए गए, उसकी जानकारी चुनाव आयोग को भी दी गई है। लेकिन इन दावो को पार्टी पर अधिकार या दावे के लिए आयोग द्वारा ठोस आधार नहीं माना जा सकता। एक बात यह भी है कि पारस गुट की तरफ से लिए गए फैसलो की जानकारी तो चुनाव आयोग को दी गई है लेकिन पारस गुट की तरफ से अब तक कोई भी प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से ना तो मिला है ना ही पार्टी पर अधिकार को लेकर चुनाव आयोग से सुनवाई की मांग की है।

चिराग चुनाव आयोग से मिल काही है ये बात

वहीं चिराग चुनाव आयोग से पहले से मिल चुके हैं और गुहार लगाया है कि किसी के भी द्वारा पार्टी पर अधिकार के लिए दावा पेश करने की दशा मे उसे प्रथम दृष्टया खारिज कर दिया जाए, आयोग अगर कोई फैसला लेना भी चाहे तो पहले चिराग को उनका पक्ष रखने का मौका दिया जाए और उन्हें सुना जाए। गौरतलब है कि संसदीय दल के नेता के तौर पर पारस के चयन के दावे को स्पीकर से मंजूरी मिल चुकी है लेकिन पार्टी के अध्य्क्ष के रूप मे उनके दावे को चिराग ने पार्टी विरोधी बताकर खरिज कर दिया है।

Manish Kumar

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