अब से मकान, दुकान, फ्लैट , खेत, जमीन आदि की रजिस्ट्री होते ही म्यूटेशन की प्रक्रिया ऑटोमैटिक (स्वत:) शुरू हो जायेगी। इस प्रक्रिया को प्रभावी बनाने पर काम किया जा रहा है। फिलहाल दाखिल- खारिज की रफ्तार धीमी है लेकिन राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की तरफ से इसमें तेजी लाने की कवायद शुरू कर दी गई है। इ
सके लिए एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा, जिसके अंतर्गत कातिब डीड के डॉक्यूमेंट तैयार करते समय ही ऑटोमैटिक म्यूटेशन का आवेदन फाॅर्म भी भरवा लेने की व्यवस्था होगी ताकि प्रत्येक रजिस्ट्री के तुरंत बाद ऑटोमैटिक म्यूटेशन सुनिश्चित किया जा सके। कातिब की जवाबदेही तय किए जाने को लेकर विचार किया जा रहा है। इसके बाद लापरवाही बरते जाने पर कातिब का लाइसेंस निरस्त करने के प्रावधान को प्रस्ताव में शामिल करने पर भी विचार किया जा रहा है।
ऑटोमैटिक म्यूटेशन के लिए खरीदार को एक फॉर्म भर कर जमा करना होता है। अभी तक यह व्यवस्था स्वैच्छिक है। अगर कोई रजिस्ट्री कराते समय आवेदन नहीं करता है, तो ऐसी स्थिति मे उसका ऑटोमैटिक म्यूटेशन नहीं होता है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री रामसूरत कुमार और अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने इस मुद्दे पर राय- विचार किया है।
विभाग के मुताबिक कातिब निबंधन के लिए डीड बनाते समय ऑटोमैटिक म्यूटेशन के लिए भी आवेदन तैयार करा देंगे। इससे यह सुविधा होगी कि जमीन की खरीद करने वाले रजिस्ट्री के साथ हीन उसे निबंधन विभाग में जमा करा सकेंगे जिससे सभी रजिस्ट्री का म्यूटेशन हो जायेगा। बता दें कि कातिब निबंधन विभाग के अधीन आते हैं, इसलिए राजस्व विभाग मंत्री की स्वीकृति लेने के बाद ही उक्त प्रस्ताव को निबंधन विभाग के पास भेजा जा सकेगा।
बिहार में एक कार्यदिवस में औसतन 4000 रजिस्ट्री हो रही
उल्लेखनीय है कि राज्य में म्यूटेशन के लाखों मामले लंबित पड़े हुए हैं, एक समस्या यह भी है कि रजिस्ट्री कराने के लिए आवेदन करने वाले ऑटोमैटिक म्यूटेशन के लिए उसी अनुपात में आवेदन नहीं कर रहे जिस अनुपात मे रजिस्ट्री करा रहे हैं। निबंधन और राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक, महज 10 से 15 फीसदी लोग ही रजिस्ट्री के समय फॉर्म भरकर जमा कर रहे हैं।
बिहार में एक कार्यदिवस में औसतन 4000 रजिस्ट्री हो रही हैं लेकिन म्यूटनेशन के बारे में बात की जाए तो यह संख्या 500 से 600 के बीच ही है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभागब के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह का कहना है कि विभाग की तरफ से जागरूकता और जवाबदेही के साथ भूमि विवाद खत्म कर दस्तावेजों को अपडेट रखने की दिशा में काफी प्रयास किया जा चुका है। इसे बेहतर से बेहतर बनाने की कोशिश की जा रही है। इसी मुहिम में निबंधन के समय ही ऑटोमैटिक म्यूटेशन हो इसके लिए कातिब की जवाबदेही तय करने पर विचार किया जा रहा है।
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