आज के दौर में आप रोजाना आय से अधिक संपत्ति, सरकारी नौकरी में चोरी, फर्जीवाड़े जैसे मामलों के बारें में अक्सर सुनते होंगे, लेकिन आज हम आपकों बिहार (Bihar) के एक ऐसे में प्रोफेसर (Bihar Professor) के बारें में बता रहे हैं, जिन्होंने अपनी 32 महीने का तनख़ाह इसलिए लौटा (Professor Returned 32 Months Salary) दी, क्योंकि उसके महाविद्यालय के संबद्ध विभाग में छात्र नहीं है। प्रोफेसर का कहना है कि बिना पढ़ाए मैं तनख़ाह क्यों लूं? प्रोफेसर कि इस ईमानदारी और सोच पर आज लाखों लोग उन्हें सलाम कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर चारों तरफ उनकी ईमानदारी की चर्चा (Bihar Professor Return Salary) हो रही है।
प्रोफ़ेसर ने लौटाई 32 महीने की सैलरी
मालूम हो कि ये मुजफ्फरपुर जिले के नितिश्वर कॉलेज (Nitishwar Mahavidyalaya) में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त है। इनका नाम डा. (प्रो.) ललन कुमार (Professor Lalan Kumar) है, जिन्होंने छात्रों की संख्या नगण्य होने की स्थिति में 32 माह का तन्खवाह लौटा दी है। उन्होंने बीआरए बिहार, यूनिवर्सिटी मुजफ्फरपुर के वाइस चांसलर को लेटर के साथ सैलरी का चेक भी सौंपा है। साथ ही उन्होंने एमडीडीएम, आरडीएस, एलएस, और पीजी विभाग में स्थानांतरण की इच्छा भी जाहिर की है।
विभाग से क्यों कर रहे ट्रांसफर की माग
इस दौरान उन्होंने पत्र में लिखा है कि वे नितिश्वर कॉलेज में 25 सितंबर, 2019 से नियुक्त हैं। पढ़ाने की ख्वाहिश रखते हैं, मगर स्नातक के हिंदी विभाग में 131 विद्यार्थियों की संख्या है, लेकिन एक भी छात्र नहीं आते हैं। क्लास में छात्रों के नहीं होने से मेरा काम अकादमिक मृत्यु के समान है। मैं चाहते हुए भी अपने कर्तव्य का निर्वहन नहीं कर पा रहा हूं। ऐसी परिस्थिति में तनख्वाह की राशि स्वीकार करना मेरे लिए अनुचित है। इस संबंध में कई बार लेटर भी लिखा, मगर कुलपति ने गंभीरता से नहीं लिया। अपने अंतरात्मा की आवाज को सुनते हुए 32 महीने की सैलरी 23 लाख 82 हजार 228 रुपए कॉलेज को समर्पित कर रहा हूं।
कौन है प्रोफ़ेसर ललन कुमार
प्रोफ़ेसर ललन कुमार वैशाली के शीतल भरतपुर गांव के रहने वाले हैं। बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में इनकी 15वीं रैंक थी। दिल्ली यूनिवर्सिटी से साल 2011 में फर्स्ट डिवीजन से ग्रेजुएट पास हैं। उस दौरान पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने इन्हें एकेडमिक एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया था। दिल्ली यूनिवर्सिटी से MA करने के बाद नेट जेआरएफ मिला। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी में मेधा नहीं लेनदेन के आधार पर महाविद्यालय में अंतर होता है। उन्होंने सरकार को कोसते हुए कहा कि कम रैंक वाले को पीजी विभाग में भेज दिया गया। हम पीजी विभाग में ट्रांसफर के लिए अनुरोध करते हैं।
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