बेटी को जिंदा करने के लिए एक पिता खड़ी कर दी ‘निरमा’ कंपनी, पूरी कहानी जान छलक पड़ेगे आँसू

हो सकता है कि आप कपड़े धोने के लिए निरमा वाशिंग पाउडर का इस्तेमाल ना करते हो लेकिन आपने इस वाशिंग पाउडर का नाम कई बार सुना होगा। जिसमें सफेद फ्रॉक पहने गोल-गोल घूमती लड़की नजर आती हैं। निरमा कंपनी की स्थापना करसन भाई पटेल ने की थी। इन्होंने अपने घर के पीछे डिटर्जन पाउडर बनाना शुरू किया। सर्फ बनाने के बाद वह घर घर जाकर बेचा करते थे।

उस समय देश में हिंदुस्तान युनिलीवर का डिटर्जेंट पाउडर 13 रुपये किलो बिकता था। लेकिन करसन भाई पटेल वाशिंग पाउडर मात्र 3 रुपये किलो दाम पर बेच रहे थे। उनका मध्यम वर्गीय निम्न वर्गीय परिवारों में अपना जगह बनाना था। इतना ही नहीं वह डिटर्जन पाउडर के हर पैकेट के साथ गारंटी भी देते थे कि अगर सही नहीं हुआ तो वह पैसे वापस कर देगा। वाशिंग पाउडर निरमा का सस्ता होना उसके लोकप्रिय होने की मुख्य वजह थी।

पिता एक किसान

इस कंपनी की स्थापना करने वाले करसन भाई पटेल का जन्म 13 अप्रैल 1944 को गुजरात के मेहसाणा शहर में हुआ था। इनके पिता एक किसान थे और उन्होंने अपने बेटे करसन को अच्छी शिक्षा दी थी। करसन भाई पटेल ने अपनी पढ़ाई मेहसाना से ही की। 21 साल की उम्र में इन्होंने रसायन शास्त्र में बीएससी की पढ़ाई पूरी की। आपको बता दें कि गुजरात में ज्यादातर लोग नौकरी ना करके व्यापार ही करते हैं। क्योंकि गुजरात की हवा में ही व्यापार है। लेकिन घर की स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह खुद के दम पर कोई काम शुरू कर सके। यही वजह रही कि उन्होंने अपनी पढ़ाई पुणे से पूरी करने के बाद एक एक प्रयोगशाला में सहायक असिस्टेंट की नौकरी कर ली। कई सालों तक नौकरी करने के बाद उन्हें गुजरात सरकार के खनन और भू विभाग में सरकारी नौकरी मिल गई।

वह हादसा जिस ने बदल दी जिंदगी

सरकारी नौकरी मिलने के बाद इनकी जिंदगी अच्छी खासी चल रही थी लेकिन इसके बावजूद करसन भाई खुश नहीं थे। करसन भाई पटेल अपनी बेटी से बहुत प्यार करते थे वह चाहते थे कि उनकी बेटी पढ़ लिखकर कुछ ऐसा करें कि देश में उनका नाम हो। लेकिन उनकी बेटी की मौत एक हादसे में हो गए। बेटी की मौत के बाद करसन भाई पटेल अंदर ही अंदर टूट गए, हालांकि बेटी की मौत के बाद उन्हें एक नई राह मिली।

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एक दिन जब करसन भाई जागे तो उनके दिमाग में एक आईडिया ने जन्म लिया। उन्होंने सोचा कि वह अपनी बेटी को वापस ला सकते हैं। उसे लेकर देखा हुआ सपना भी पूरा कर सकते हैं। उन्होंने वॉशिंग पाउडर बनाकर बेचने का फैसला किया हालांकि यह सोचने वाली बात थी कि वॉशिंग पाउडर बेचकर वह अपनी बेटी को कैसे वापस ला सकते थे? दरअसल उनके इस आइडिया से पूरे देश में उनकी बेटी के नाम को प्रसिद्धि मिल सकती थी। करसन भाई पटेल की बेटी का नाम निरुपमा था और लोग उन्हें प्यार से निरमा कहां करते थे। इसलिए करसन भाई ने अपने इस प्रोडक्ट का नाम निरमा रखा जिससे कि उनकी बेटी इस नाम के साथ हमेशा जिंदा रहे।

इस तरह हुई निरमा कंपनी की शुरुआत

साल 1969 की बात है। गुजरात के करसन भाई ने निरमा वॉशिंग पाउडर की शुरुआत की। वह केमिस्ट्री से साइंस ग्रेजुएट थे इसलिए उनके लिए पाउडर बनाना कठिन काम नहीं था। उन्होंने सोडा ऐश के साथ कुछ अन्य सामग्रियां मिलाकर वाशिंग पाउडर बनाने की कोशिश शुरू की। एक दिन उन्हें पीले रंग के पाउडर के रूप में अपना फॉर्मूला मिल गया। उस समय बाजार में दूसरे अच्‍छे डिटर्जेंट की कीमत 13 से 15 रुपये प्रति किलो थी। करसनभाई ने निरमा को महज साढ़े तीन रुपये प्रति किलो के दर से बेचना शुरू किया। कम आमदनी वाले परिवारों के लिए यह अच्‍छा विकल्‍प था। करसनभाई सरकारी नौकरी भी करते थे। बेटी के नाम को अमर बनाने का सपना लिए वह पहले ऑफिस का काम करते फिर साइकिल से लोगों के घरों में वॉशिंग पाउडर बेचते। धीरे-धीरे इस डिटर्जेंट को सभी जानने लगे।

देखते ही देखते पूरे देश की पसंद बन गई निरमा

धीरे-धीरे यह प्रोडक्ट लोगों के बीच अपनी जगह बनाने लगा। इस प्रोडक्ट की खास बात थी की यह दूसरे प्रोडक्ट के मुकाबले बहुत ज्यादा सस्ती थी। करसन पटेल भाई ने देखा कि उनका व्यापार का काम सही चल रहा है तो उन्होंने अपना व्यापार बढ़ाने को सोचा पर नौकरी के चलते वह व्यापार पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रहे थे। वह व्यापार बढ़ाना चाहते लेकिन सरकारी नौकरी छोड़ना जोखिम भरा कदम था पर करसन भाई पटेल को अपने फार्मूले पर पूरा विश्वास था। उन्होंने फैसला किया कि वह नौकरी छोड़कर अपने बिजनेस पर ध्यान देंगे।

काफी अनूठे तरीके से किया लॉंच

करसन भाई समझ नहीं पा रहे थे कि अब क्‍या किया जाए। उन्‍हें यह लगने लगा था कि वह हार गए हैं। लेकिन फिर उन्‍हें एक उपाय सूझा। उन्‍होंने तय किया कि वह एक टीवी विज्ञापन बनवाएंगे। टीम की मीटिंग बुलाकर विज्ञापन बनाने का फैसला किया गया। यह शानदार जिंगल तैयार हुआ। लेकिन इसी के साथ करसन भाई ने एक और प्‍लान बनाया। उन्‍होंने विज्ञापन के टीवी पर आने से पहने बाजार से निरमा के सारे स्टॉक उठवा लिए।

ग्राहक टीवी पर एक महीने तक केवल निरमा का विज्ञापन ही देख पाए क्योंकि जब भी वह बाजार से यह वाशिंग डिटर्जेंट खरीदने जाते हैं उन्हें यह नहीं मिलता तब जाकर खुदरा विक्रेताओं ने करसन भाई पटेल से अनुरोध किया। 1 महीने बाद बाजार में निरमा आया। इस देरी से करसन भाई पटेल को इतना फायदा हुआ कि सर्फ की मांग बढ़ने के कारण बाजार में आते ही निरमा बड़े अंतर से दूसरे ब्रांड को पीछे छोड़ दिया। उस साल निरमा वॉशिंग पाउडर भारत में सबसे अधिक बिकने वाली पाउडर बनी थी। यह वाशिंग पाउडर धीरे-धीरे इतना कामयाब हुआ कि अगले एक दशक में कोई भी ब्रांड इसके आसपास भी नहीं भटक पाया।

1995 में अहमदाबाद में निरमा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की भी स्थापना हुई। इसके बाद 2003 में स्टेट ऑफ़ मैनेजमेंट और निरमा यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की स्थापना भी। आपको बता दें कि करसन भाई पटेल ने यह कंपनी 1969 में शुरू की थी। आज इस कंपनी में लगभग 18000 लोग काम करते हैं वही इस कंपनी का टर्नओवर 70000 करोड़ से भी ज्यादा है। इस कंपनी ने मार्केट में ऐसी जगह बनाई कि लोग जब भी डिटर्जेंट खरीदने जाते हैं तो दुकानदार को यही कहते हैं भैया एक पैकेट निरमा देना।

इतनी है संपत्ति

2005 में फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक करसन भाई पटेल की कुल संपत्ति 650 मिलीयन डॉलर थी जो जल्द ही 1000 मिलियन डॉलर को छूने वाली थी। फोर्ब्स के मुताबिक करसन पटेल की संपत्ति आज की तारीख में 4.1 बिलियन है। करसन भाई पटेल दुनिया के बिलियनर्स की सूची में 775 में तथा भारत के सबसे अमीर लोगों की सूची में उन 39 में स्थान पर है।

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