हर साल बिहार मे क्यों तबाही मचाता है बाढ़, जानें इसके पीछे की वजह !

हर साल की तरह इस साल भी 10 दिन के बारिश में बिहार के कई इलाकों में बाढ़ ने दस्तक दे दी है, जिसके बाद लोगों के लिए एक बार फिर से परेशानी बढ़ गई है। हालांकि इन सब के बीच एक सवाल जो हर बार लोगों के मन में उठती है वो ये है कि आखिर कब तक बिहार के लोगों को बारिश के बाद बाढ़ जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। आखिर कब तक आम जनजीवन बाढ़ से प्रवाभित होती रहेगी।

साल 1953 में रहे प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कोसी परियोजना का शिलान्यास करते हुए कहा था कि कम से कम अगले पंद्रह सालों तक बिहार के लोगों को बाढ़ जैसी समस्याओं से निजात मिल पाएगी। मगर उसके 68 साल बाद भी अबतक बिहार की स्तिथि में कोई सुधार नही आ पाया है और लोग आज भी बाढ़ से जूझ रहे है। हालांकि हर साल लोगों के मन में एक नए उम्मीद जगती है कि शायद इस साल बाढ़ का सामना ना करने पड़े मगर ऐसा हो नही पाता है।

देश का सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित इलाका बिहार

आपको जानकर हैरानी होगी कि जहां साल 1953 में कुल 25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित होती थी तो वही अब वर्तमान समय में ये बढ़ कर 68.8 लाख हेक्टेयर हो चुकी है। बता दें की उत्तर बिहार की कुल 76 प्रतिसत आबादी हर साल बाढ़ से प्रभावित होती है और देश का सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित इलाका बिहार ही है। यही नही देश के कुल बाढ़ प्रभावित इलाकों में कुल 16.5 प्रतिशत इलाका केवल बिहार का है जो की सबसे ज्यादा है। इतना ही नही बाढ़ से प्रभावित होने वाले देश की कुल आबादी का 22.1 प्रतिशत हिस्सा भी बिहार से ही है।

वैसे अगर बात की जाए बिहार में आने वाले हर साल बाढ़ की तो यहाँ बाढ़ जैसी तबाही के आने का मुख्य कारण नेपाल से आने वाली नदियों से है। कोसी, नारायणी, कर्णाली, राप्ती, महाकाली जैसी नदियां नेपाल के बाद भारत में बहती हैं और जब भी नेपाल में भारी बारिश होती है तो इन नदियों के जलस्तर में इजाफा होता है और क्योंकि इन नदियों का प्रवाह बिहार में भी है तो इसी कारण बिहार के लोगों को बाढ़ जैसी स्तिथि का सामना करना पड़ता है।

भारी बारिश के बाद जब भी नेपाल में पानी का स्तर बढ़ता है तो वह अपने बांधों के दरवाजों को खोल देते है जिसके कारण बिहार में बाढ़ की स्तिथि उत्पन्न हो जाती है। इतना ही नही बाढ़ से बचाव के लिए बने तटबंध भी अक्सर पानी के प्रवाह से टूट जाते है। आपको बता दें की जब साल 2008 में कुसहा तटबंध टूट गया था तो करीब 35 लाख की आबादी इस कारण प्रभावित हुई थी और लगभग 4 लाख से ज्यादा मकान तबाह हो गए थे और करोड़ों रुपयों का नुकसान हुआ था।

सरकार है नजर बनाई हुई

वैसे हर साल की तरह इस साल भी नेपाल से जुड़े कई जिलों में बाढ़ का भयावर मंजर देखने को मिल रहा है। हालांकि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों पर बिहार सरकार लगातार अपनी नजर बनाए हुए है। ड्रोन कैमरों के जरियों तटबंधों पर कड़ी निगरानी कर रही है और साथ ही अपने स्तर पर राहत बचाव कार्य के लिए हर कोशिश भी कर रही है। इतना ही नही तटबंधों में कटाव, रिसाव आदि की सूचना के लिए हेल्पलाइन नं. 1800 3456 145 जारी किये गये हैं साथ ही उन इलाकों में सामुदायिक किचेन की व्यवस्था भी की गयी है. इसके अलावा लोगों तक स्वास्थ्य सुविधा को बरकरार रखने के लिए नाव के द्वारा डॉक्टर को बाढ़ पीड़ितों के बीच भेजा जा रहा है और राहत सामग्री के साथ साथ आर्थिक मदद भी सरकार द्वारा की जा रही है।

Manish Kumar

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