राजनीति के मौसम वैज्ञानिक कहे जाने वाले रामविलास पासवान का पिछले साल निधन हो गया था।देश और बिहार की राजनीति में रामविलास पासवान का राजनीतिक कद क्या था इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि सरकार चाहे किसी की भी रही हो उन्हें हमेशा महत्वपूर्ण समझा गया और बड़ा पद दिया गया। एच डी देवगौड़ा, वीपी सिंह, अटल बिहारी बाजपेई, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में काम करने वाले रामविलास पासवान उन नेताओं में से थे जिन्हें अपनी शक्ति का एहसास था। रामविलास पासवान इस बात से वाकिफ थे कि पावर का कहां पर कितना और किस तरह इस्तेमाल करना है।
पुलिस की नौकरी छोड़कर राजनीति की दुनिया में कदम रखने वाले रामविलास पासवान ने अपने राजनीतिक करियर में सबसे ज्यादा वोट से लोकसभा चुनाव जीतने का रिकॉर्ड भी बनाया। हालांकि यह रिकॉर्ड पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने तोड़ा। रामविलास पासवान जनता दल, लोकदल, जनता पार्टी में भी रह चुके हैं। अपनी राजनीतिक की अच्छी समझ के चलते उन्होंने बार-बार सत्ता पक्ष में रहने में सफलता पाई है।
साल 2000 के दौरान रामविलास पासवान ने एलजेपी का गठन किया इनकी पार्टी को परिवार का पार्टी भी कहा गया लेकिन उनकी जाति के लोग उनके साथ मजबूती के साथ खड़े हैं। आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि रामविलास पासवान के निधन के बाद हाल ही में हुए बिहार विधान सभा चुनाव 2021 में एलजेपी को तकरीबन 6% वोट मिला था।
पासवान ने की है दो शादियां
साल 1960 में रामविलास पासवान ने राजकुमारी देवी से पहली शादी की थी इनसे उनकी दो बेटियां उषा और आशा है। दोनों की शादी हो चुकी है। 1981 लोकसभा चुनाव के दौरान रामविलास पासवान ने बताया कि उन्होंने अपनी पहली पत्नी राजकुमारी से तलाक ले लिया।
कई सालों तक छुपाए रखा अपनी पत्नियों का राज
साल 1983 के दौरान रामविलास पासवान ने हरियाणा की रहने वाली रीना से शादी कर ली। इन दोनों की मुलाकात हवाई यात्रा के दौरान हुई थी रीना पहले एयर होस्टेस का काम करती थी। चिराग पासवान उनकी दूसरी पत्नी रीना के बेटे हैं। उनकी एक बेटी निशा भी है।
पहली पत्नी से दो बेटियां दोनों की हो चुकी है शादी
राजकुमारी देवी को इस बात का हमेशा से मलाल रहा है कि पत्नी के रूप में उन्हें जो प्यार और अधिकार मिलना चाहिए था उससे वह हमेशा वंचित रही है। मीडिया से बातचीत के दौरान राजकुमारी देवी ने बताया था कि चिराग पासवान से उनकी मुलाकात कभी-कभी ही हो पाती है। वह गांव कम ही आते हैं। अपने दादा के निधन पर चिराग एक बार गांव आए थे। वह अपनी मां रीना और रीना के साथ पटना में ही रहा करते हैं।
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