पिछले कुछ दिनों से बिहार का राजनीतिक तापमान अपने चरम पर है। नेताओं की बयानबाजी लगातार जारी है, साथ हीं नेताओं के आपसी मुलाकात से हर रोज नए – नए राजनीतिक समीकरण बनने के कयास लगाए जा रहे हैं। इसी बीच केंद्र सरकार के मंत्रीमंडल विस्तार की चर्चा ने बिहार की राजनीति का तापमान और बढ़ा दिया है।
दरअसल ख़बरों के मुताबिक, संसद के मानसून सत्र के पहले सरकार की मंत्रिमंडल विस्तार की संभावनाओं पर लगातार चर्चा जारी है। अब खबर आ रही है कि होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में बिहार की भागीदारी बढ़ाई जा सकती है। केंद्र की NDA सरकार के घटक दल जदयू ने भी कैबिनेट में शामिल होने की इच्छा जाहिर की है। विदित हो कि शनिवार को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने कहा था कि, ” जदयू भी NDA का घटक दल है और NDA में सभी भागीदारों को उचित सम्मान मिलना चाहिए।
हालाँकि केंद्र में नरेंद्र मोदी की दूसरी कार्यकाल के शुरुआत के समय भी जदयू के कैबिनेट में शामिल होने की संभावना जताई जा रही थी लेकिन आखिरी वक्त में जदयू की ओर से यह कहते हुए मना कर दिया गया था कि कैबिनेट में भागीदारी को लेकर उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं है। लेकिन अब जब मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में पहली बार कैबिनेट विस्तार करने जा रही है तो उनके सहयोगी दल जदयू ने भी कैबिनेट में शामिल होने की इच्छा जताई है।सूत्रों के मुताबिक , जदयू को कैबिनेट विस्तार में एक से अधिक सीटों का ऑफर दिया गया है , वहीं जदयू ने तीन सीटों की माँग रखी है जिसमे 2 कैबिनेट और एक राज्यमंत्री आते हैं । सूत्रों की माने तो जदयू इस कैबिनेट विस्तार के जरिये अपनी जातिगत समीकरण को साधने में जुटी हुई है।
इधर बीजेपी नेताओं में भी हलचल तेज
मोदी मंत्रिमंडल में विस्तार को लेकर भाजपा की बिहार राज्य इकाई में भी हलचल काफी तेज है। चर्चा यह है कि भाजपा कोटे के बिहार के मंत्रियों की उपयोगिता की समीक्षा हो रही है। मंत्रिमंडल में बिहार भाजपा के सांसदों की भागीदारी बढ़ाने या अनुपयोगी मंत्रियों को हटाने की कार्रवाई भी की जा सकती है।
बिहार कोटे के रिक्त जगहों को भरने की तैयारी
गौरतलब है कि लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान जो कि मोदी मंत्रिमंडल में उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण के मंत्री थे , उनके निधन के बाद बिहार के किसी सांसद को मंत्री नहीं बनाया गया है। उम्मीद की जा रही है कि कैबिनेट विस्तार के समय बिहार के कोटे का ख्याल इस रिक्ति के लिहाज से भी रखा जाएगा। हालाँकि अभी तक यह संकेत नहीं मिल पाया है कि इसे किसके हवाले किया जाएगा।
कितना अहम है मोदी सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार??
दरअसल आगामी साल चुनावों का साल है। वैसे तो भारत में हर साल किसी – न – किसी राज्य में चुनाव होते हीं रहते हैं लेकिन अगले साल कई मुख्य राज्यों में चुनाव होने वाले हैं , जिसमें उत्तर प्रदेश प्रमुख राज्य है , जहाँ जातिगत समीकरण काफी मायने रखता है । ऐसे में सवाल यह है कि क्या बीजेपी इस मंत्रिमंडल विस्तार के जरिये अपनी जातिगत समीकरण को किस हद तक साधने में सफल हो पाएगी ??
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