सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना संक्रमण देखते हुए कैदियों को पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया था। पर बिहार की जेलों से कैदियों को पेरोल पर रिहा नहीं किया जाएगा। पैरोल पर रिहाई देने के बजाय अधिकतम सजा पूरी कर लेने वाले कैदियों की रिहाई दो से छह माह पहले कर दी जाएगी।अंडर ट्रायल आरोपितों को भी जमानत पर रिहा किया जा सकता है।इस लिस्ट में एक साल से लेकर 10 साल के बीच की सजा पाने वाले कैदी शामिल किए जाएंगे।
उच्चतम नन्यायलय द्वारा दिए गए आदेश के बाद, पिछले दिनों पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश अश्विनी कुमार सिंह, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद और जेल आइजी मिथिलेश मिश्रा की समिति ने उच्चस्तरीय बैठक में यह फैसला लिया है। समिति ने अपने निर्णय का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा है। राज्य सरकार द्वारा स्वीकृति मिलने पर माफी के दायरे में आने वाले कैदियों को रिहाई देने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
पैरोल से लौटे कैदियों से लौटने पर कोरोना संक्रमण का है खतरा
अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद और जेल आइजी मिथिलेश मिश्रा ने बैठक के दौरान कहा कि राज्य की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं, लेकिन स्थिति अभी नियंत्रण में है। कैदियों को अगर अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाता है, तो कुछ समय बाद उनके वापस जेल लौटने पर संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। इस वजह से जेल के अंदर की स्थिति बिगड़ सकती है। आपको बता दे कि बिहार की 59 जेलों में 62,365 कैदी बंद हैं, जबकि क्षमता 46,669 कैदियों की ही है।
रिहाई के मानक –
- 10 साल की सजा पाने वाले कैदियों को सजा पूरी होने से छह माह पहले
- 07 से दस साल के बीच सजा पाने वाले कैदियों को पांच माह पहले
- 05 से सात साल के बीच सजा पाने वाले कैदियों को चार माह पहले
- 03 से पांच साल के बीच सजा पाने वाले कैदियों को तीन माह पहले
- 01 से तीन साल के बीच सजा पाने वाले कैदियों को दो माह पहले
8 मई को सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को जेल से कुछ कैदियों को पेरोल या जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया था। उसके बाद से ही कैदियों की रिहाई की प्रक्रिया चल रही है। बताया जा रहा है इस दायरे वाले सौ से अधिक कैदी जेल से बाहर आ सकते हैं।
इन्हें नहीं मिलेगी कोई रियायत
मनी लांड्रिंग, भ्रष्टाचार, महिला एवं बाल हिंसा, आतंकवाद, आम्र्स एक्ट, राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक धोखाधड़ी, एसिड अटैक केस के साथ टाडा, पोटा, यूएपीए, पाक्सो जैसे विशेष कानून के तहत दंडित किए गए कैदियों को नहीं किया जाएगा रिहा। इसके अलावा एनआइए, सीबीआइ, ईडी और विशेष शाखा जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के द्वारा पड़ताल किए गए मामले में सजायाफ्ता कैदी भी नहीं होंगे रिहा।
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