सवर्णों को जाति प्रमाण-पत्र मिलने का रास्ता हुआ साफ, आरक्षण का लाभ देने में पड़ती है जरूरत

बिहार सरकार ने सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने पर एक बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार गैर-आरक्षित श्रेणी के लोगों को भी जाति प्रमाण-पत्र देगी। इस प्रमाण पत्र के ज़रिये गैर-आरक्षित वर्ग के लोगों की पहचान की जा सकेगी। गुरुवार को इस प्रसंग में सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी कर दिया है। यह आदेश जल्द से जल्द लागू किया जायेगा। सभी जिलाधिकारियों और बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन के अपर निदेशक को यह निर्देश दे दी गई है।

कैसे होगा आबादी कर वर्गीकरण

पूरी आबादी का वर्गीकरण करने के लिए राज्य सरकार ने सरकारी सेवाओं एवं शिक्षण संस्थानों के हिसाब से आबादी को दो हिस्सों में बांटा है। पहली श्रेणी उनको जो पहले से ही आरक्षण की श्रेणी में हैं। दूसरी श्रेणी सवर्ण वर्ग की है। पहली श्रेणी में अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग शामिल हैं। वही सवर्ण श्रेणी में इनमें ब्राह्मण, राजपूत, कायस्थ एवं भूमिहार,सैय्यद, शेख एवं पठान शामिल हैं। पिछले साल सामान्य प्रशासन विभाग ने सिंधी और खत्री जाति को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का प्रमाण-पत्र देने की सिफारिश सामान्य प्रशासन विभाग से की थी।

गैर-आरक्षितों की सूची पहले तैयार की जाएगी

राज्य सर्कार द्वारा दिए गए नए आदेशों में कहा गया है कि तमाम जातियां जो पहले से किसी आरक्षित वर्ग की सूची में शामिल नहीं हैं, उन्हें गैर-आरक्षित वर्ग की सूची में शामिल किया जाए। राज्य में अब तक गैर-आरक्षित वर्ग की कोई सूची नहीं बनाई गई है। प्रशासनिक सुधार मिशन को आदेश दिया गया है कि वह गैर-आरक्षित वर्ग के लोगों को भी जाति प्रमाण-पत्र दे। प्रमाण पत्र के आधार पर आवेदक की जाति का पहचान होगा।

आरक्षण के फायदे देने के लिए पड़ी जरूरत

आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकारी सेवाओं में 10 फीसद आरक्षण दिया जा रहा है। 26 फरवरी, 2019 को सामान्य प्रशासन विभाग इससे संबंधित आदेश जारी किए थे। पर राज्य में अब तक जाति प्रमाण-पत्र जारी करने की कोई स्पष्ट नीति नहीं बनी थी। नए आदेशों के ज़ारी होने के बाद अंचल में तैनात सक्षम अधिकारी इन वर्गों के लिए जाति प्रमाण-पत्र जारी कर सकेंगे। सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों के दाखिले में लोगों को आरक्षण का लाभ मिलेगा।

Manish Kumar

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